Book Title: Jain Katha Ratna Kosh Part 05
Author(s): Bhimsinh Manek Shravak Mumbai
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
View full book text
________________
दृष्टांत शतक.
३४८
गुरु शिष्यनी परीक्षा करी पोताना पढ़ें स्थापवो तेनो थाडत्रीशमो दृष्टांत.
|| शिष्यान् वक्ति गुरुस्तदाम्रफलमिवाम्यानय त्वं पृथक्, पारीक्षाय निवे दितः प्रथमकोवर वृद्धता ते गुरो ॥ अन्यो गति शब्दितश्व लघुना गत्वा वि धिं पृति, त्रैविध्यं ज्ञ विनीतकं हि गुरुणा ज्ञात्वा स्वदत्तं पदम् ॥ ३९ ॥
अर्थः- एक गुरु पोताने पर्दे स्थापन करवा सारु शिष्योनी परीक्षा कर वाने श्रर्थे प्रथम मोटा शिष्य प्रत्यें बोल्या के, तं महारे माटे खांबाना फ ल लावी याप त्यारे ते वडो शिष्य बोल्यो के हे गुरु! तमारी अक्कल क्यां गइ देखाय ने जेमाटे तमोने वृद्धपणांमां यात्र खावानुं मन थयुं बे ? प
बीजा शिष्यनेकयुं के तुं याम्रफल लाव्य त्यारे ते शिष्य यांबा सेवा माटे चाल्यो ते जोइने तेने गुरुयें पाठो तेडी लीधो पढी त्रीजा न्हाना शि य इाववाकयुं तेवारें तें शिष्य वंदना करीने गुरुने पूढवा लाग्यो के स्वामी यांचा प्रकारना बे एवं तेनुं बोलवु सांजलीने गुरुयें जा एयं जे या शिष्य विनीत ज्ञानवंत क्रियावंत ले माटे यापणा पदने योग्य बे. एम चिंती ते शिष्यने पोतानुं पद दीधुं. कह्युं बे के श्लोक | परीक्षा सर्वसा धूनां शिष्याणां च विशेषतः॥ कर्त्तव्या गणिना नित्यं त्रयाणां हि कृता यथा १ गुणहीन स्त्रीयो घरने हलकुं पाडे तेनो जंगलचालीसमो दृष्टांत कहे बे.
॥ लोलामात्य व शाश्वतुर्मुखसमाः श्रुत्वा नृपस्तगृहे, गत्वा पश्यति ताः पतिर्वदति नो मौनं विधेयं तदा ॥ तङ्गोज्ये नृप वर्णिता सुवटिका तिस्रो गि रोचुः स्वसः, दृग्न्यां क्रोशति तूर्यका हि हसितः प्रोचे न किं कां पयः ॥ ४० ॥
॥ अर्थ :- कोइएक प्रधानने चार स्त्री हती ते चारे स्त्रीयो बोबडीयो हती ए वात राजायें सांजली ने विचार करखो के प्रापणा प्रधाननी चारे स्त्रीयो बोबडी ए वात खरी बे के खोटी बे माटे तेनी तपास करूं. एम निरधारीने प्रधानने घेर जोवा गयो त्यारे मंत्रियें पोतानी चारे स्त्रीउने वा री राख्युं के तमे बोलशो मां मौनपणुं करजोए वात प्रधाननीं स्त्रीजयें क बूज राखी पढी राजाने जमाडवा वडीनुं शाक कस्युं हतुं. ते ज्यारें राजा जमवा बेठो तेवारे स्त्रीने हसावीने राजायें कयुं के बडी बहुज सारी थइ dai वखा सांजलीने एक स्त्री बोल्याविना रही शकी नहीं. तेथी ते तरत बोली के " ए ववियां तो में तवियां ” त्यांतो बीजी बोली के " एववियां तो तें तवीयां जो मांयाइयां तेलाइ पश्यां” त्यारे त्रीजी बोली के "या
४४

Page Navigation
1 ... 355 356 357 358 359 360 361 362 363 364 365 366 367 368 369 370 371 372 373 374 375 376 377 378 379 380 381 382 383 384 385 386 387 388 389 390 391 392 393 394 395 396 397 398 399 400 401