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नंबर..
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साधुभाद्ध प्रतिकमणचैत्य
गुरुवंदन अवचूरि
साधु प्रतिक्रमण वृत्ति
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श्रावक प्रतिक्रमण सूत्र
गा. ५२
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नाम.
चूर्णि
वृति
जैनागम लिए,
लघुवृत्ति
वृति
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लोक.
८००
२९६
५४८
६७२
१९५०
२००
१७७
कतो.
तिलकाचार्य
जिनप्रभ
पार्श्वदेव
•
विजयसिंह :
श्रीचंद्र
तिलकाचार्य
पार्श्वग
रचयानो संवत्.
६३६४
११८३
१२२२
● पार्श्वदेवगण सं. ११३१ थी. १९९० सूमी इता एवा पुत्रा मले के. एम. सं.! खती पाटणनी टीपमो एवं नौधायूँ के के यक्षदेवना शिष्य पार्श्वदेवे सं. ९५६ मां आ वृत्ति करी छे,
सुनवृत्तिनो ज एक भाग होवो जोइए एम वधु संभवे छे.
एने मंदितसूत्र पण कहे छे.
भा विजयसिंह ते पोपलिया गच्छना शांतिसूरिना शिष्य छे.
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आवृत्ति ते पार्श्वरिनो प्रथम नोंघायली वे हजार लोकवाली वृत्तिनौ ककको छे