Book Title: Jain Granthavali
Author(s): Jain Shwetambar Conference
Publisher: Jain Shwetambar Conference Mumbai

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Page 496
________________ १०८ अनुक्रमणिका. रच्यांनो संवत्: प्रप® नाम. रच्यानो संवत् अंभई नाम. १४२६ १४६३ ___भक्तामरस्तोत्र वृत्ति १४२८ श्रीपाल चरित्र प्रश्नोत्तररत्नमाला वृत्ति १४३६ हरिविक्रमकाव्य वृत्ति उपदेशचिंतामणि वृत्ति उपदेशचिंतामणि अपचूरि धमाकपा श्रीधर चरित्र सिरिनित्यक्षेत्रसमास अवपरि ... गुविली हैमधातुपारायण क्रियारत्नसमुचय (अगोजक) १४६६ १४६६ १४४० वाशिविचार १४४१ पर्वरत्नावली 1४४२ १४८० अंचलमतदलन १४४७ १४८४ १४८६ आवश्यक अवचूरि उत्तराध्ययन अवचूरि कुलमंडनसूरिकृतविचारामृतसंग्रह गुणस्थानकमारोह त्रैवेधनोटा नमिळणजलक्षेत्रममास वृत्ति यतिजीतकरूप वृत्ति सम्यकाकौमुदी ... कर्मस्तव विवरण सम्यक्तकौमुदी (चोथी) धम्मिलचरित्र (लोकवर) ... पुष्पमाला भवति प्रबोधचितामगि रत्नपोखर कथा ( गधपय ) ... मित्रचतुष्णकथा पर्युषणस्थिति श्रावगुण विवरण पंचदंडकाप्रबंध विक्रमचरित्र १४९. ४५९ पंचपरमेष्टिस्तव १४९० १४९४ १४९४ १४९५ १४६२ १४६२ १४९५ चित्रोडमहावीरविहारप्रशस्ति संदेहदोलावली लवृत्ति ... विक्रम चरित्र (बीन) ... षडावश्यक कृत्ति (मर्थदीपिका)..

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