Book Title: Jain Granthavali
Author(s): Jain Shwetambar Conference
Publisher: Jain Shwetambar Conference Mumbai

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Page 495
________________ अनुकमणिका. रच्यानो संक्त्, ग्रंथन नाम. रच्यानो संवत. . ग्रंथ नाम. ---- १३३२ याश्रय (सं.) वृत्ति १३.०५ वृहत्कल्प वृत्ति १३८५ संघपट्टक लधुवृत्ति १३३४ शालि चरित्र १३९० . १३३४ प्रभावक चरित्र १३९२ शालिचरित्र काध्य १३९३ १३३७ विषयविनिग्रह कुलक वृत्ति १३९४ शकुनसारोद्धार १४०० प्रवज्याविधान वृत्ति दीपालिकाकल्प ( छो) ... शत्रुजयादित्रेषष्ठतीर्थकल्प ... दीपालिकाकल्प हरिभदीजंबूद्वीपसंग्रहणी वृत्ति ... अंतरंगसंधि (प्रा.) विजाहल वृत्ति पडावश्यकविधि स्तंभनपार्श्वप्रबंध चतावशति प्रबंध शांतिनाथ चरित्र (सं.) कुमारपाल प्रबंध श्राद्धदिनकृत्य वृत्ति चैत्यवंदना वृत्ति बालावबोधा ( जूनीगुर्जर) पार्श्वनाथ चरित्र (प्रा.) नरवर्मकथा -हस्वकथासंग्रह पारसीनाममाला ५३४९ स्याद्वादमंजरी । १४१० १३६३ १४११ विधिप्रपा साधुप्रतिक्रमण वृत्ति ५३६४ १४११ १३६५ १४११ भयहरस्तोत्र वृत्ति अजितशांतिस्तव वृत्ति १४१२ १४१२ १३६८ गुरुपारतंत्र्यस्तव वृत्ति १३७२ पुंररीकचरित्र श्रामकधर्मप्रकरण वृत्ति १३८३ । चैत्यवंदनकुलक श्राद्धसामायिक प्रतिक्रमणसूत्र १४.२२ १४२२ %3ARNE सम्यकसप्ततिका वृत्ति दीपालिकाकल्प ( बीजो) व्याख्याप्रकरण १४२३

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