Book Title: Jain Granthavali
Author(s): Jain Shwetambar Conference
Publisher: Jain Shwetambar Conference Mumbai
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कर्तानुं नाम.
दयारतन
दयावर्द्धन
620
दयासागर
दलपतिराय
दान विजयोपाध्याय
दानशेखर
दामनंदिशिष्य..
दामोदरगुप्त
दिगंबर २८६,२९५
...
***
दीक्षित देवदत्त
दुर्गव
दुर्गसिंह
दुर्लभदास
देवलाल
देवगुप्त
देवचंद्र
देवचंद्रजी
देवतिलक
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49
... ३०५
...१६२,१५३,२५८
...
...
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900
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पृष्ठोक.
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अनुकमणिका.
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... ३४६
३६३
४१,३४२,
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२८४
३÷३
... २७१
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२१७
४६, ३५४,३५६
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૨૮
४
...१२५, १५३, १८३
७८, १०४, १३२,२९३
३०४
३५७
२४९
१३६
२४५
कर्त्तार्नु नाम.
...
देवदत्त
३०६
देवेन्द्र २१, २६, ६८, ११८, १२४, १३६, १३७,
१४२, १४५,१५२,१७४, १८१, १८३,
१८५,१८६,१८८, १९७, १९९,
देवचंद्रगणि
देवेन्द्रमुनि
देवप्रभ
देवप्रभ मलधारी
देवभद्र
देव्यावसूरि
देवविजय
देवविजयगणि
देवविमल
देवसागर
...
...
देवभद्र मलधारी
देवमत्युपाध्याय
देवमूर्ति
देवगिणि
...
२०१,२३६,२३९,२४१,२६३
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८७
voc ३३७
... २९२
१२०,१७२,१७९,१९२,
१०९,३३६
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२४४,२६६
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१५६
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.. १९९, ३२६,२२७
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२३१,१६८,२७३
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३३३
३१०

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