Book Title: Jain Granthavali
Author(s): Jain Shwetambar Conference
Publisher: Jain Shwetambar Conference Mumbai

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Page 492
________________ १०४ अनुक्रमणिका. रच्यानो संवत् ग्रंथर्नु नाम.. रच्यानो संवत्. . ग्रंथतुं नाम. ११३९ ११७२ ११४१ प्र. पंचाशकचूर्णि परीति वृत्ति ११३९ सार्धशतक वृत्ति ११७३ ११५४ १९७४ १९६० पार्श्वनाथ चरित्र (सं.) ... महावीरस्वामी चरित्र (प्रा.)... जिनमत्रीयवृहत्संग्रहणी वृत्ति ... मनोरमा चरित्र (प्रा.) ... शोभनस्तुति अवचूरि कथारत्नकोश आदिनाथ चरित्र शांतिनाथ चरित्र (प्रा.) पृथ्वीचंद्र चरित्र (प्रा) जीवानुशासन वृत्ति जीवसमास वृत्ति नवपदप्रकरण वृत्ति ( चोथी) বানাথ বৰ (সা.) न्यायप्रवेशकसूत्र टिप्पन न्यायप्रवेशकसूत्र पंजिका 11४ १९६२ . 30 - - - बंधस्वामित्व वृत्ति निशीथविंशोदेशक वृत्ति उपदेशपद वृत्ति नवतस्वगाथा वृत्ति चैत्यवंदनाचूर्णि चैत्यवंदन विवरण मल्लिनाथ चरित्र (प्रा.) पुष्पमाला वृत्ति पिंडविशुद्धि लघुवृत्ति रस्नकोशव्याख्या सप्तक्षेत्री पिंडविशुद्धि वृत्ति पाक्षिकसूत्र वृत्ति नवपदप्रकरण वृत्ति (पांचमी)... श्रावकातिकमणसूत्र चूमि ... ११६५ ११७६ ११६५ ११७६ ११८० भवभावना १८. ११७० भवभावना वृत्ति १९८२ सार्द्धशतक वृत्ति धर्मरत्नकरंडक मुनिपति चरित्र (प्रा.) ११८३ प्रत्याख्यानखरूप ११७२ ११८३ , वृत्ति

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