Book Title: Jain Granthavali
Author(s): Jain Shwetambar Conference
Publisher: Jain Shwetambar Conference Mumbai
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भानुक्रमणिका.
कर्ता नाम.
पृष्ठांक.
कर्ता नाम. .
पृष्ठांक.
रामर्षि रूपचंद्र रूपविजय
... ... ...
... ... ...
... २८१ १२४,३१२ ... १२७
वर्धमानकवि ... ... ... .. वराहमिहिर ... ... ... ३४९ बल्लभगणि ....२७३,३०१,३३३ वालभदेव ... ... ..... ३३५ वसंतराय ... ... ३४९ वसुनंदि वाग्भट्ट ....
३१२,३१४,३१५,३३१
...
लब्धिचंद्र .. लब्धिनिधान लब्धिसागर ...
....२२७,२६१,२८९
वाग्भट्ट
लक्ष्मचंद्र
वाघजी
२८८
वादिचंद्र
....... ३३६
लक्ष्मणगणि ... लक्ष्मीदेव ...
लक्ष्मीवल्लभ ...
लक्ष्मीतिलक ...
लक्ष्मीसेन
लाभकुशल ..
वादिदेवसूरि ... • वादिराज वादिविजय वादिवेताल वादिसिंह वानरर्षि ... वामदेव विक्रम विजयगणि विजयचंद्र ...
लावण्यवाचक...
६५.२८.
... . ६९,२८०
... ११६
१४८,३३४
वनसेन ... . ... १४०,१९५ वत्सराज
... ३४६ वर्धमान ९९,१७१,१८१,२१७,२२९,२३८,
२४०,३०७,३१२,३१८,३२९ ।
...
२५३,२६१
विजयतिलक ...
... २७४

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