Book Title: Jain Granthavali
Author(s): Jain Shwetambar Conference
Publisher: Jain Shwetambar Conference Mumbai

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Page 485
________________ अनुक्रमणिका फर्ता नाम. प्रकि. कर्तानु नाम. पृष्ठोक. सातवाहन विश्वसेन विष्णुसेन ... ... ___... २९१ शालिभद्र वीरगगि ... ... शालिमूरि शामिसूरि वीरदेव वीरमणि ... वीरभागणि शाइनाम ४४.६४,३१५ शिवदेव १८६,१८२ :: :: :: :: : : वीरभद्र शिवमंडन बीरविजय वीरसी ... ११८ वीरसेन वीराचार्य वीरसिंहदेव ... शिवाम ११५,११४ शीलदेव शीलसिंह ... २३ शीलाचार्य ... २,१४९,२२९ श्यामाचार्य श्रीचंद्र १०,३०,४२,५४,६४,६६,४४,१२०, १२६,१९५,२३५,२४१,३९८ श्रीतिलक ...१७७,१९१,२२७ शय्यंभवस्वामी... शास्याचार्य ... ... १२८,३३० शातिर ... ... ८,२७२ शांतिदेव .... ... ... ३६ शांतिसूरि २४,३६,९२,१२२,१८१,२२६, ... २८५,२९१,३३५,१४० ... ... ... २७९ ... ३३ श्रीतिलकशिष्य... श्रीदेव ... श्रीधर ... श्रीप्रभ ... ... .१४९,१०२ चविसाधु श्रीवल्लम

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