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जैन फिलॉसोफि.
नंबर.
नाम.
श्लोक. कर्ता..
क्यां छे ?
हरिभद्र
वृत्ति (स्याद्वादकल्पलता) १३००० यशोविजय २४ श्रावकधर्मतंत्र A
ভূমি वृत्ति
मानदेव २५ षड्दर्शनसमुञ्चय. ___वृत्ति
गुणरत्न २६ षोडशक
हरिभद्र __ वृत्ति
यशोदेव समरादित्यचरित्र (प्रा) १०००० हरिभद्र ,, टिप्पन
मतिवर्धन सर्वशसिद्धिप्रकरण B ७३० हरिभद्र संबोधप्रकरण
हरिभद्र साधुप्रवचनसारप्रकरण D पत्र ९
हरिभद्र
कोडाय. डेक्कन पेज २०९ डेकन पेज २०९ पा. १.३-४. पा. ३.४. वृ.पा १-३-४ को. वृ. सुलभ्य. पा. ४.५, A.S. A. S. जेसलमेर व. अ. १,GOV.6.
२०५४
अ. २
___A डेक्कन कॉलेजना रिपोर्टमां पेज २०९ मां श्रावकधर्मतंत्र नामे प्रेथ तेनी वृत्ति साथै नोंघेल छे. पण ते अमोने अत्यार सूधी कोई पण जगोए उपलब्ध थयो नथी, अजायबनी वात ए छे के त्यां पण तेनी श्लोक संख्या पण लखी नथी. माटे शोधक जनोए गुम थता आवा उपयोगी ग्रंथनी डेक्कन कॉलेजमां शोध खोल करी अगर ते ज्यां होय त्यांथी तेनो पतो मेळवी उतारे करावी लेवो जोइये.
B आ प्रकरण फक्त जेसलमेरनी विजयजी महाराजनी टीपमां नोंघायुं छे, ते शिवाय बीजे कोइपण स्थळे उपलब्ध थयु नथी. माटे जेसलमेरना भंडारमांनी प्रत उपरथी तेनो खास उतारो लेवो जोइये. हमणा स्वबर मळी छे के ते भावनगरमां तथा पं. आनंदसागरजीना पासे पण छे.
C एजें अपरनाम तत्वप्रकाशक छ. डेलाना भंडारमा ते पत्र ८८ नुं छे एम नोंभ्यु छे परंतु ते केटला प्रमाणनुं छे तेनो चोकस निर्णय डेलाना भंडारमांनी प्रत नजरे जोयाथीज थइ शके.
___D आ नाम शक पडतुं लागे छे अने ते फक्त अमदावादना चंचलबाना भंडारनी टीपमा नों धायुं छे. ते शिवाय बीजो कोई विशेष पुरावो जोवामां आव्यो नथी. माटे तेनुं खरं नाम शं छे तेनो निर्णय करवो जोइये. । सूचना:--आ मंथो उपरांत हरिभद्रसूरिए जे सूत्रों उपर टीकाओ रची छे ते जैनागमना लिस्टमा नोधाइ छे.