Book Title: Jain Granthavali
Author(s): Jain Shwetambar Conference
Publisher: Jain Shwetambar Conference Mumbai

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Page 418
________________ अक्षरानुक्रमवार प्रथोना नाम. दशवैकालिक नियुक्त्यवचूरि वृत्ति दीपिका 33 दशाश्रुतस्कंध मूळ 18 33 १७ दशदृष्टांतगीता दशश्रावक चरित्र "J नियुक्ति चूर्णि वृत्ति दशश्रावकऋद्धिकुलक दानोपदेशमाला 33 वृत्ति दानचतुष्टय कथा दानप्रकाश दानप्रदीप दानादि प्रकरण दानमहिमा कुलक दानविधिप्रकरण दानशीलतपोभावना कुलक दान शिका 23 (प्रा.) "" वृत्ति अवचूरि Per अनुक्रमणिका. पृष्ठांक ३६ ३६ १४ १४ १४ १४ १७९ २२४ २२४ १९९ ૧૮૦ १८० २५३ १८० १८० ३४० १९९ १४९ १९९ १४० १४० १४० अक्षरानुक्रमवार प्रथोना नाम. दानसत्तरी दानादिकथा दानादिकुलक चार वृत्ति >> 36 दानादिकुलक चार "s दिगंबरखंडन "" 37 दिनकृत्य कुलक दीपालिका कल्प "" ** " " 32 33 F वृत्ति दुसमदंडिका दीक्षा कुलक दुर्गाशकुन दुसमददिकाकरण ( बाजो ) ( त्री जो ) (प्रा.) ( चोथो) ( प्रा. ) ( पांचमी )... अवचूरि ( छत्रो 431 अवचूरि : दुसमव्यवच्छेद दंडिका दुसमन्यवच्छेद दंडिका (बीजी)... 19. पृष्ठांक ૧૪૨ २५३ १९९ १९९ १९९ १९९ १९९ १६१ १९९ २७० २७० २७० २७० २७० २७० २७० १९९ ३५५ १३३ १३३ १३३ १३३ १३३

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