Book Title: Jain Granthavali
Author(s): Jain Shwetambar Conference
Publisher: Jain Shwetambar Conference Mumbai

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Page 472
________________ अनुक्रमणिका. फर्तानुं नाम. पृष्ठांक. कर्ता नाम. पृष्ठांक. (दिगं.) गुणभद्र ... ... २२५ गुणरत्न ४४,४५,७६,७९,९४,९५,१०२, ११७,११९,१२२,१५०,१६३,३०१ चक्रेश्वर ११८,१३४,१४४,१५३,१५४,१६५ चंद्रकीर्ति गुणरत्नसूरि २४३,२८८,३३३,३३४ गुणविजय ... गुणविजयगणि चंडपाल ... __... चंद्रगुप्त ... चंद्रतिलक ... चंद्रधर्म ... चंद्रप्रभ ... ... ३३४ १२९,३०५,३६७ ... ... २५५ ... ... २२० ... ... २४ ७७,१७९,१९०,२४० गुणविनय ... गुणशील चंद्रप्रभमहत्तर ___... २६० गुणसमुद्र चंद्रमुनि गुणसागर चंद्रर्षिमहत्तर ... गुणसुंदर गुणसेन · ... चंद्रशेखर चंद्रसूरि चंद्रसेन गुणसौभाग्य गुणाकर २३५,२६०,२८५,३६२ गुणांकरसूरि गोवालियमहत्तर शिष्य ... ... बंद्रानंद चामुंडराज ... गोविंद ... ... ... ३६४ १८०,२१४ चारित्रकीर्ति ... चारित्ररत्न ... चारित्रवर्धन चारित्रवर्धन .., गोविंदाचार्य ... गौतम .. ... ... ... ११६,३११ १५४,३०५ १९३,३३५ ... १३५

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