________________
नंबर
नाम.
२४ उपदेशरसायन A
वृत्ति
२५ उपदेशरहस्य
वृत्ति
उपदेशरहस्य B ( बीजा )
| २६ | उपदेशशतक C
उपदेशशतक 1) (बीज)
वृत्ति
२७ उपदेशसप्ततिका
२८ उपदेशसत्तरी
वृत्ति
जैन औपदेशिक.
श्लोक.
कर्त्ता.
जिनदत्त
२७९० जिनपाळ २७९०
यशोविजय
३७०० | स्वोपज्ञ
५०.
मेरुतुंग D
विमल
| पत्र ४८
२८०० F सांमधर्म
७१.७९ क्षेमराज
23
रच्या नो सं
क्यां छे ?
पा. १ डेक्कन पेज११४
पा. १
अ. १ को.
अ. १ को.
जेसलमेर,
डेक्कन पेज ३३
९३ पा. ४-५
अ. २
|९६०३ पा. १-४ को.
पा. ३ भाव.
१७३
पा. ३ भाव.
A आ मंथने केटलीक प्रतोमां उपदेश रसायनना नामे ओळखावेल छे, त्यारे केटलीक प्रतोमां तिनुं नाम उपदेशरसाळ आप्युं छे. परंतु तपास करतां तेनुं खरं नाम उपदेशरसाळज छे.
B आ ग्रंथ हीरालाले नोंघेल होवाथी शक पडतो छे, माटे तेनी प्रत जोवानी जरूर छे,
C एनुं अपरनाम ८६ महापुरुष चरित्र छे. ते संस्कृतमां रचायलं छे एम डेक्कन कॉलेजना रिपोर्टमां जणाव्युं छे ते परथी एम लगे छे के वखते ते टीका हशे छतां चोकस निर्णय माटे तेनी प्रत तपासवानी जरूर छे.
D आ मेरुतुंगसूरि चंद्रप्रभसूरिना शिष्य हता. एमणे प्रबंधचिंतामणि संवत् १३६७ मां रच्यो छे.
E आ शतक आगळ शतकना वर्गमां नोंषवामां आवशे पण तेमां उपदेशनो विषय होवाथी इहां पण नोभ्युं छे.
H आ श्लोकसंख्या कोडायनी टीपमां नोंघेल होवाथी इहां टांकी छे, पाटणनी टीपमां तेनी | लोकसंख्या साथे थोडोक तफावत छे. ए वाचत तेनुं चोकस प्रमाण जे मुनिमहाशयने खबर होय. तिमने ते अमोने लखी जणावत्रा कृपा करवी.