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नंबर.
नाम.
वर्ग ५ मो. *
काव्यना ग्रंथो.
१) ऋषभोल्लास काव्य
२ कविगुहाकाव्य A
वृति
७
३ कुमारविहारप्रशस्तिकाव्य
४ गुरुगुणरत्नाकर काव्य B
चंद्रदूत काव्य
चंद्रलेखाविजयप्रकरण
चंपूमंडन (द्रौपदीकथामय )
जैन भाषासाहित्य.
लोक.
पत्र ८
कर्त्ता.
रविधर्म
33
८७ हेमशिष्यवर्धमान
८०० सोमचारित्रगणि
रिच्यानो सं.
का. २३ | जंबुकवि C
२२०० हेमसूरिगुरुदेवचंद्र
मंडनकवि D
३२९
क्या छ ?
अ. १
जेसल.
जेसल.
A, S
डेक्कन.
पा. १ जे. A. H.
| जेसल - बे.
पा. १.
* आ वर्गमां श्वेतांबर ने दिगंबर जैनाचार्योंए रचेला काव्यना ग्रंथो अक्षरानुक्रमवार नोध्या छे, उपरांत आ वर्गना क्लास बीजामां अन्यमतिए करेला काव्य ग्रंथो उपर जैनाचार्योए रचेली ब्याख्यवाळा ग्रंथो नांच्या छे.
A आ काव्य तेनी टीका साथे जेसलमेरनी टीपमां हीरालाले नोंध्यु छे.
B एनुं अपरनाम " सोमचरित्र " एवं छे.
C जेसलमेरनी टीपमां इंसविजयजी महाराजे आ काव्यना करनार जंबूनाग कवि जणान्या छे. त्यारे होरालाले एना कर्ता चंद्रकीर्ति नोध्या छे, ते चोकस भूल छे, पण हीरालाले आवा खोटा नाम शा कारणथी लख्या इशे ते कल्पनातीत थइ पडयुं छे.
D आ मंडनकवि स्वमति छे के कोइ अन्य छे ते बाबत कोइ चोकस पुरावा जाणवाम आव्यो नथी.
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