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नंबर.
. मलोदय टीका
१० भट्टिकाव्य टीका
११ माघकाव्यवृत्ति
वृति
| १२ मेघदूतवृत्ति
>>
23
भाष्य
अवचूरि
१३ रघुवंशवृत्ति
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नाम.
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बालावबोध वृत्ति
वृत्ति (बीजी )
वृत्ति ( श्रीजी )
वृत्ति ( चोथी )
१४ राक्षसकाव्यवृत्ति
१५ विषमकाव्यवृत्ति C
१६
वृंदावनटीका
| १७ शिवभट्टीका
| १८ शिशुपालवधटीका
जैन भाषासाहित्य
श्लोक
१४००
कर्ता.
आदित्यसूरि
जयमंगलाचार्य
१००००) वल्लभदेव A
चारित्रवर्द्धन
क्षेमहंस B
महीमेरु
११५०
१४४४
पत्र ३९
१५०० सुमतिविजय
गुणविजय
सुमतिविजय
धर्ममेरु
पत्र ७
पत्र १४५ समयसुंदर
शांतिसूरि
शांतिसूरि
33
चारित्रवर्धन
रच्यानो सं.
क्यां छे ?
Gi.
डे. मुद्रित.
वृ.पा. २ - ३A. S..
डेक्कन.
A. S.
पा. ४.
अ. २
A. S.
भाव. म. २
A. S.
P
खं.
अ. १
जेसल.
३३५
वृ. पा. ४
जेसल - बे.
जेसल - बे.
डेक्कन.
A B आ निशाणीवाळा बन्ने आचार्यो माटे तेमना नाम उपरथी शक रहे छ.
C एक विषमकाव्यवृत्ति श्लोक ६७७४ नी जणावी छे, पण ते क्यां पण उपलब्ध यह निथी. पाटणमां पत्र सातनी जणावी छे एमां पण कर्तानुं नाम विगेरे विशेष माहिती आपली जणाती नथी. तो ते कोण स्वेली छे तथा ते संबंध विशेष हकीकत शुं छे ते जाणवा माटे पाटणना भंडारमांनी प्रत फरीथी तपासवानी अगत्य छे.