Book Title: Jain Gazal Gulchaman Bahar
Author(s): 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 6
________________ ( ४ ) अव बांधो कमर तुप करके कुछ दिखलाइयो || टेर | किस नींद में सोते पड़े, क्या दिल में रखा सोच के, बेकार वक्त मल गमावो, करके कुछ दिखलाइयो || १ || यश का डंका बजा, इस भूमि को रोशन करो । ऐश में भूलो मती, तुम कर के कुछ दिखलाइयो || २ || हिम्मत विना दौलत नहीं दौलव विना ताकत कहां | फिर मर्द की हुर्मत कहां, करके तो कुछ दिखलाइयो || ३ || द्विकारत की नज़र से, सब देखते तुम को सही । मरना तुम्हें इस से बेहतर, करके कुछ दिखलाइयो || ४ || जापान यूरप देश ने, कीनी तरक्की किस कदर | वे भी तो इन्सान है, करके तो कुछ दिखलाइयो || ५ || उठ के गफलत का पढ्दा, सुधारलो हालत सभी । इन्सान को मुश्किल नहीं, करके तो कुछ दिखलाइयो || ६ || जो इरादा तुम करो तो, बीच में छोडो मती । मज़बूत रहों निज कोल पर, करके तो कुछ दिखलाइयों ॥ ७ ॥ नीति, रीति, शान्ति क्षमा कर्त्तव्य में मशगूल रहो | खुद और का चाहो भला, करके तो कुछ दिखलाइयो || ८ || काम अपना जो बजाना, तो लोकों से डरना नहीं । उत्साह से बढ़ते चलो करके तो कुछ दिखलाइयो ॥ ६ ॥ सन्तान का चाहो भता रंडी नचाना छोडदो । वृद्ध, वाल विवाह बंद करो, करके तो कुछ दिखलाइयो ॥ १०॥ फिजूल खर्ची दो मिटा, मुंह फूट का काला करो | धर्म जाति उन्नति, करके तो कुछ दिखलाइयो || ११ || दुनियां अ 4

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