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३८८ जैन धर्म के प्रभावक आचार्य
अपने श्रम और समय का यथेष्ट योगदान दिया। आचार्य पद को कुशलतापूर्वक वहन करते हुए वे वि०नि० २४७० (वि० स० २०००) मे स्वर्गगामी बने।
उनके उत्तराधिकारी आचार्य गणेशीलाल जी थे। जिन्होने श्रमण संघ के उपाचार्य का पद भी सम्भाला था। श्री गणेशीलाल जी के उत्तराधिकारी वर्तमान में आचार्य नानालाल जी है।