Book Title: Jain Dharm ke  Prabhavak Acharya
Author(s): Sanghmitrashreeji
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 426
________________ ४०४ जैन धर्म के प्रभावक आचार्य . सम्मान, भारत के तात्कालीन राष्ट्रपति श्री वी० वी० गिरि द्वारा इस अवसर पर विशेष सदेश-प्रदान, यूनेस्को के डाइरेक्टर लूथर इवेन्स, अन्तर्राष्ट्रीय राजनीतिज्ञ वेकननाम आदि विदेशी हस्तियो द्वारा उनकी नीति का समर्थन, मैक्समूलर भवन के डायरेक्टर जर्मन विद्वान् होमियो राँउ द्वारा विदेश-पदार्पण के लिए आमन्त्रण, अमेरिकन युवक जिम मोरगिन द्वारा सात दिन के लिए मुनिकल्प जैन दीक्षा का स्वीकरण, शिक्षाशोध-साधना की सगमस्थली जैन विश्वभारती के माध्यम से भगवान महावीर के दर्शन का सर्वतोभावेन उन्नयन तथा विस्तार निस्सन्देह श्रमण परम्परा के सवल प्रतिनिधि, आधुनिक युग के महर्षि, भारतीय संस्कृति के प्राण, स्वस्थ परम्परा के सवाहक, प्रकाश-स्तम्भ, आगम-वाचना-प्रमुख जैन श्वेताम्बर तेरापथ धर्म सघ के आचार्य श्री तुलसी के असाधारण नेतृत्व एव उनके प्रगतिगामी कर्तृत्व के परिचायक है। प्रसन्नचेता अध्यात्मसाधक, क्रान्तदर्शी मानवीय मूल्यो के प्रतिष्ठापक, युगप्रधान आचार्य श्री तुलसी का जीवन विभिन्न अनुभूतियो से अनुविद्ध एक महाकाव्य है। इसका प्रतिसर्ग साहस और अभय की कहानी है। हर सर्ग का प्रति श्लोक अहिंसा व मैत्री का छलकता निर्झर है तथा हर श्लोक की प्रत्येक पक्ति शौर्य, औदार्य व माधुर्य की उभरती रेखा है। 000

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