Book Title: Jain Dharm ke  Prabhavak Acharya
Author(s): Sanghmitrashreeji
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 433
________________ ५१ उद्योतन- ५२ वीरसेन ५३ जिनसेन ५४ विद्यानन्द ५५ अमृतचन्द्र- ५६ आचार्य सिद्धर्षि ५७ शीलाक --- ५८ सूर --- ५६ उद्योतन ६० सोमदेव- ६१ अमितगति परिशिष्ट १ ४११ १ प्राकृत साहित्य का इतिहास, पत्ताक ४१६ से १ प्राकृत साहित्य का इतिहास, पत्राक २७५ २ जैन साहित्य व इतिहास, पलाक १३० से १३२ ३ आदि पुराण (४), उत्तरपुराण ( ५ ), हरिवश पुराण प्रस्तावना १ जैन साहित्य व इतिहास पत्राक १३० से १३२ २ प्राकृत साहित्य का इतिहास पत्राक २७५ ३ आदि पुराण (४), उत्तरपुराण (५), हरिवश पुराण प्रस्तावना १ आप्त परीक्षा प्रस्तावना २ न्यायकुमुद्रचन्द्र प्रस्तावना १ जैन साहित्य व इतिहास पत्राक ३०६ से ३११ १ प्रभावक चरित, पनाक १२१ से १२५ २ पुरातन प्रबन्ध संग्रह, पत्राक १०५ से १०६ ३ प्रबन्धकोश, पत्ताक २५ व २६ १ जैन साहित्य का बृहद् इतिहास, भाग ३, पृ० ३८२ २ सूत्रकृताग, टीका ३ सिद्धि विनिश्चय टीका प्रस्तावना १ प्रभावक चरित, पृ० १५२ से १६० १ तपागच्छ श्रमण वशवृक्ष १ उपासकाध्ययन प्रस्तावना, पनाक १३ मे १ अमितगति श्रावकाचार अमितगति आचार्यपरिचय, पत्ताक ५, ६, ७

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