Book Title: Jain Dharm ke  Prabhavak Acharya
Author(s): Sanghmitrashreeji
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 435
________________ ७४ नेमिचन्द्र ७१ वीर ७२ अभयदेव (मल्लधारी ) - १ ओसवाल जाति का इतिहास ७३ जिनदत्त - ७८ हेमचन्द्र- ७६ मलयगिरि - परिशिष्ट १ ४१३ ८० जिनचन्द्र ( मणिधारी ) - - २ युगप्रधान श्री जिनचन्द्र सूरि, पृ० १२ ३ खरतरगच्छ वृहद गुर्वावलि, पृ० ६० १ प्रभावक चरित, पृ० १६८ से १७० ७५ शुभचन्द्र--~ ७६ हेमचन्द्र ( मल्लधारी ) - १ प्राकृत साहित्य का इतिहास, पत्त्राक ५०५ ७७ वादिदेव - ८१ रामचन्द्र- १ खरतरगच्छ वृहद् गुर्वावलि, पृ० ९१ व २ २ खरतरगच्छ का इतिहास, पृ० ३१ से ४४ ३ ऐतिहासिक जैन संग्रह ४ युगप्रधान श्री जिनदत्त सूरि १ जैन साहित्य का वृहद् इतिहास, भाग २, पृ० ४४७-४८ १ ज्ञानार्णव प्रस्तावना १ प्रभावक चरित, पृ० १७१-१८२ २ रत्नाकरावतारिका सम्पादकीय १ प्रभावक चरित, पृ० १८३ से २१२ २ प्रवन्धकोश, पृ० ४६ से ५४ ३ प्रमाण मीमासा प्रस्तावना १ जैन साहित्य का इतिहास, भाग ३, पृ० - ४१५ व ४१७ २ न्याय कुमुदचन्द्र प्रस्तावना १ खरतरगच्छ का इतिहास, पृ० ४४ से ५१ २ युगप्रधान श्री जिनचन्द्र सूरि, पृ० १३ ३ ऐतिहासिक जैन काव्य-संग्रह, पृ० ८ से ६. १ हेमचन्द्राचार्य का शिष्य मण्डल २ प्रभावक चरित, पृ० १८३

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