Book Title: Jain Dharm ke  Prabhavak Acharya
Author(s): Sanghmitrashreeji
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 431
________________ परिशिष्ट १ ४०६ ३ महापुराण प्रस्तावना ३३ उमास्वाति १ तत्त्वार्थ भाष्य कारिका २ आप्त परीक्षा प्रस्तावना ३ तत्त्वार्थ सूत्र (विवेचन सहित) ३४ स्कन्दिल व ३५ नागार्जुन १ नन्दी चूर्णि २ हिमवन्त स्थविरावली ३ वीर निर्वाण सवत् और जैन काल-गणना ३६ विमल १ प्राकृत साहित्य का इतिहास,पनाक ५२७ से २ भिक्षु स्मृति ग्रन्थ (द्वितीय खण्ड, पृ०८५ से) ३७ देवद्धिक्षमाश्रमण १ नन्दी सूत्र स्थविरावली २ नन्दी प्रस्तावना (मुनि पुण्यविजय) ३ पट्टावली समुच्चय ४ वीर निर्वाण सम्वत् और जैन काल-गणना उत्कर्ष युग १ प्रभावक चरित, पनाक ५४ से ५७ तक २ प्रबन्ध चिन्तामणि, पनाक ६ व ७ ३ प्रवन्धकोश, पत्नाक १५ से २१ ३८ वृद्धवादी और ३६ सिद्धसेन ४० मल्लवादी १ प्रवन्धकोश, पनाक २१ से २३ तक २ प्रभावक चरित, पनाक ७७ से ७६ तक ३. प्रवन्ध चिन्तामणि, पनाक १०७ ४१ समन्तभद्र १ जैन साहित्य और इतिहास पर विशद प्रकाश २ न्यायकुमुदचन्द्र प्रस्तावना ४२ देवनन्दी (पूज्यपाद) १ समाधितन प्रस्तावना २ 'सर्वार्थ सिद्धि' प्रस्तावना, पन्नाक ८१ ३ समाधितन और इष्टोपदेश प्रस्तावना

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