Book Title: Jain Dharm ke  Prabhavak Acharya
Author(s): Sanghmitrashreeji
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 430
________________ ४०८ जैन धर्म के प्रभावक आचार्य २ न्यायावतार वानिक वृत्ति प्रस्तावना ३ सिद्धि विनिश्चय टीका प्रस्तावना ४ पञ्चास्तिकाय सग्रह प्रस्तावना २५ आर्य-रक्षित १ प्रभावक चरित, पनाक ६ से १८ २. परिशिष्ट पर्व, सर्ग १३ ३ आवश्यक चूणि, पनाक ३६७ से ४१३ ४ लक्ष्मीवल्लभगणीकृत उत्तरा० टीका, पनाक ६६ से ६८ २६ दुर्बलिका पुष्यमित्र- १ आवश्यक मलयवृत्ति, द्वितीय भाग, पृ० ३९८ से ४०२ २ लक्ष्मीवल्लभगणीकृत, उत्तरा० टीका, पृ० १६४ व १६५ ३ प्रभावक चरित, पनाक १५ से १७ ४ आवश्यक चूर्णि, पृ० ४०६ से ४१३ २७ वज्रसेन १. परिशिष्ट पर्व, सर्ग १३ २ आवश्यक मलय वृत्ति, द्वितीय भाग, पृ० ३६५-३६६ ३ उपदेशमाला विशेषवृत्ति २१६ व २२० २८ अहंद्-बलि १ महाबन्ध प्रस्तावना २६ धरसेन १ महावन्ध प्रस्तावना २ प्राकृत साहित्य का इतिहास, पनाक २७८ ३० गुणधर १ प्राकृत साहित्य का इतिहास, पन्नाक २६० से २६३ २ कसाय पाहुड सुत्त प्रस्तावना ३१ पुष्पदन्त और ३२ भूतवलि १ महावन्ध प्रस्तावना २ प्राकृत साहित्य का इतिहास, पन्नाक २७४ से २७७

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