Book Title: Jain Dharm ke  Prabhavak Acharya
Author(s): Sanghmitrashreeji
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 428
________________ ४०६ जैन धर्म के प्रभावक आचार्य ६ सम्भूतविजय १ परिशिष्ट पर्व, सर्ग ८ २ उपदेशमाला दोघट्टीवृत्ति, पनाक २३७, २३८, २४२ ३ लक्ष्मीवल्लभगणीकृत उत्तरा टीका, पृ० ५५ ७ भद्रबाहु १ परिशिष्ट पर्व, सर्ग ६, ८ २ आवश्यक चूणि, भाग २, पन्नाक १८७ ३ तित्थोगाली पइन्नय, ७१४ से ८०२ ८ स्थूलभद्र १ परिशिष्ट पर्व, सर्ग ८ २ उपदेशमाला दोघट्टीवृत्ति, पनाक २३३ से २४३ . ३ लक्ष्मीवल्लभगणीकृत, उत्तरा० टीका ७७ से से ८६ ६ महागिरि१० सुहस्ती १ परिशिष्ट पर्व, सर्ग ११ २ उपदेशमाला, पनाक ३६६ व ३७० ३ निशीथ चूणि ४ कल्प चूणि ५ वृहत् कल्प नियुक्ति भाष्य वृत्ति ६ आवश्यक चूणि ११ वलिस्सह और १२ गुणसुन्दर १ नन्दी स्थविरावली २ हिमवन्त , ३ कल्पसूत्र , १३ सुस्थित और १४ सुप्रतिवुद्ध १ कल्पसूत्र स्थविरावली २ हिमवन्त , ३ पट्टावली समुच्चय, प्रथम भाग १५ श्याम और १६ पाडिल्य १ नन्दी स्थविरावली २ वीर निर्वाण सवत् और जैनकाल

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