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( ४ ) निग्रंथ आवकों का देवता निग्रन्थ है "निगन्ध सावकानाम् निगन्धो देवताः”
[पाली त्रिपितक निदेश पत्र १७३-४ ] (५) महावीर स्वामी ने कहा है कि शीत जलमें जीव होते है "सो किर शीतादके सत संज्ञा होति"
[ सुमंगल बिलासिनी पत्र १६८ ] ( ६ ) राजग्रही में एक दफ़े बुद्ध ने महानम को कहा कि “इसिगिली [ऋषिगिरि स०] के तट पर कुछ निर्बंध भूमि पर लेटे हुए तप कर रहे थे। तब मैंने उनसे पूछा क्यों ऐसा करते हो ? उन्होंने जवाब दिया कि उनके नाथपुत्र ने जो सर्वच व सर्वदर्शी है उनसे कहा है कि पूर्वजन्म में उन्होंने बहुत पाप किए है, उन्हीं के क्षय करने के लिए वे मन वचन काय का निरोध कर रहे हैं "।
मज्झमनिकाय जिल्द १ पत्र ६२-६३ ]
(७) लिच्छवों का सेनापति सीह निर्बंध नातपुत्र का शिष्य था । [विनय पितक का महावग्ग ] (= ) निग्रंथ मतधारी राजा के खजांची के वंश में भद्रा को, श्रावस्ती के मन्त्री के वन्श में अर्जुन को, विम्बसार के पुत्र अभय को, श्रावस्ती के सश्रीगुप्त और गरहदिन को बुद्धने बौद्ध बनाया । ( धम्मपाल कृत प्रमथदीपिनी व धम्मपदस्थ कथा जि० १ )
(६) धनञ्जय सेठी की पुत्री विशाखा जो निग्रंथ मिगार सेठी के पुत्र पुराणवर्द्धक को विवाही गई थी । श्रावस्ती में मिगार श्रेष्टीने ५०० नग्न साधुओं को आहार दान दिया ।
( विसाखावत्थु धम्मद कथा जि० १ )