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( २२१ ) ८. श्रेणिक चरित्र शुभचन्द्रकृत सर्ग २
उपश्रेणिकने भीलोंके क्षत्रिय राजा यमदण्डको तिलक वती कन्या को विवाहा जिसके पुत्र चिलाती हुए और उसी को राज्य मी मिला।
६. वन्यकुमार चरित्र छठा पर्व
राजा श्रेणिक ने धन्यकुमार सेठ को वैश्य जानकर गुणवती आदि १६ कन्यायें विधिपूर्वक विवाही और आधा राज्य दिया।
(३-न) विवाह युवाकाल में ही होते थे, बालविवाह नहीं होते थे।
१. उत्तर पुराण पर्व ७५--
मामाने आक्षा दी कि पुत्र व कन्या जब तक युवा न हो तबतक अलग रहे, विवाह न हो।
अभ्यर्पयोवने यावद्विवाह समयोभवेत् । तावत् पृथग्वसे दस्मादिति मातुलवाक्यतः ।। २. क्षत्रचूडामणि लम्ब ८ श्लोक ६६तरुणा कन्या विमला को जीवन्धर ने विवाहा। (४) समुद्र यात्रा जैनो करते थे१. उत्तरपुराण पर्व ७५ श्लोक ११२
नागदत्तने समुद्रयात्रो की, जहाज़ पर चढ़कर पलास. डीप गये।
२. उत्तरपुराण पर्व ७६ श्लोक २५२प्रीत्यंकर जैनसेठने व्यापार के लिये समुद्र-यात्रा की । ३. क्षत्र चूड़ामणि लम्व २