Book Title: Jain Dharm Prakash
Author(s): Shitalprasad
Publisher: Parishad Publishing House Bijnaur

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Page 258
________________ ( २३० ) (३२) धर्म कार्य करके विशेष लौकिक कामको करते थे । क्षत्र चूड़ामणि लम्व १० जीवन्धरकुमार पात्र दान देकर फिर काष्ठांगार पर युद्ध को चढ़े । (३३) वैश्यों का पुत्रों के साथ व्यवहार । धन्यकुमार चरित श्र० १ धनपाल सेठ ने धन्यकुमार को विद्या, कला, विज्ञान जवान होने तक सिखाया । धन्यकुमार नित्य पूजा व दान करता था। पिता धन्यकुमार को कहता था कि प्रातःकाल धर्म क्रियाओं को करके जबतक भोजन का समय न हो व्यापार करना चाहिए | अभी तक विवाह का नाम भी न था । ८७. श्री महावीर स्वामी के पीछे भारत में . जैन राजाओं का राज्य । जैसे महावीर स्वामी के समय में उनके पूर्व अनेक जैन राजा राज्य करते थे, वैसे ही उनके पीछे भी बहुत काल तक भारत में जैन राजाओंने राज्य किया है। उनमें के कुछ प्रसिद्ध राजाओं का यहाँ दिग्दर्शन मात्र कराया जाता है :महाराज चन्द्रगुप्त मौर्य जैन सम्राट थे इनका राज्य भारतव्यापी व बहुत परोपकार पूर्ण था । यह श्री भद्रबाहु श्रुतकेवली के शिष्य मुनि होकर दक्षिण कर्नाes में गये और श्रवणबेलगोल ( मैसूर स्टेट ) में गुरुकी अस समय सेवा की, यह बात वहां पर श्रङ्कित शिलालेख से भली प्रकार प्रगट है । वहाँ चन्द्रगिरि पर्वत पर चन्द्रगुप्त वस्ती नाम

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