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OCTOBER, 1891.] TWO PATTAVALIS OF THE SARASVATI GACHCHHA.
(1) अथ वंशाधिकार प्रथम पट्टावली विषे युगादि चौदा कुलकर हूवा ॥। १४ नाम छै । ती पाछै युग ल्या धर्मनिवारक संसारतारक आदिनाथ जी १ इतेि २४ वीर अन्तिम हूवा ॥ सैा वर्ष ६२ ताई केवली रो ।। गाथा ॥
अन्तिमजिणणिष्वाणे केवलणाणी व गोयम मुणीन्दो । बारह वासे" य गये सुधम्मसामी य संजाते ॥ १ ॥ तह बारह वासे पुण संजादो जम्बुसामि मुणिरायो । अडतीस वास रहियो केवलणाणी य उक्किहो || २ ॥ बास केवलवासे तिन्ह मुणि गोयम सुधम्म जम्बू अ । बारह बारह दो जण तिय दुगहीणं" व चालीसं ॥ ३ ॥
( 2 ) और पाछे गोतम स्वामी वर्ष १२ केवली रह्यो । तैडा पाछै जम्बू स्वामी ३८ केवली रह्यो । एवं वर्ष ६२ मै केवली रह्या ।।
तरै पाछे ५ श्रुतकेवली लिखिते ॥ गाथा |
सुकेवलि पञ्च जणा बासा वासे गये सु संजादा । पढमं चउदह वासं विण्ड कुमारं " मुणेयब्वं ॥ ४ ॥
दिमित्त वास सोलह तीय अपराजिय वास" बावीसं । इगहीणवीस वासं गोवजूण भहबाहु गुणतीसं ॥ ५ ॥ सद" सुयकेवलणाणी पञ्च जणा विण्हु नन्दिमित्तो य । अपराजिय गावडूण [ तह" ] भद्दबाहु य संजादा ॥ ६ ॥
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वर्ष १०० मै ए पाँच श्रुतकेवली हुवा विष्णुनान्द १४ नन्दिभित्र १६ वर्ष अपराजित वर्ष २२ गोवरधन (sic) वर्ष १९ भद्रबाहुजी वर्ष २९ ।। ए पाँच आचार्य श्रुतकेवली वर्ष १०० मै हूवा ॥
( 3 ) तैा पाछैय्या नै ग्यारा अङ्ग चौदा पूर्व को पाठ कण्ठि आवैतो अर पुस्तक न छाजै ॥ द्वादशाङ्ग का पद एक सो बारा कोडि तियासी लाख अठावन हजार पाँच पद छै ११२८३५८००० ।। ५ ।।
एक पद का श्लोक बतीस अक्षय एता होय । इक्यावन कोडि आठ लाख चौरासी हजार छ से साठ अकवीस ५१०८८४६२१ श्लोक हुवा ।।
सो बारा अङ्ग नै लिखताँ स्याही पैतीस हजार नो से अवधाणवे कोडिमण भर तेतीस लाखमण एक सो साटा अाईसमण टङ्क सवा लागे ३२९९८३३००१२८ टङ्क ॥
सहस्र लोक लिखताँ पइसा १ भरी स्याही लागे । ते को लिखे तोल चालीस की एती लागे ॥
(4) तैा पाछै महावीर स्युं वरष १६२ पाछै इसपूर्वधारी हुवा ११ मुनि ॥ [ गाथा ॥]
सद बासहि सु वासे गये सु उप्पण्ण दह सु पुश्वधरा ।। सद तिरासि वासाणि य एगादह मुणिवरा जादा ॥ ७ ॥ . आयरिय" विसाख पोडल खत्तिय जयसेन नागसेन मुणी ॥ सिद्धत्य धित्ति-विजयं बुहिलिङ्ग-देव धमसेणं ॥ ८ ॥ दह उगणीस य" सत्तर इकवीस अठारह सत्तर ।
अठारह 22 तेरह वीस चउदह चोदह कमे पेयं ।। ९ ।।
श्री वीरात् वर्ष १६२ विशाखाचार्य वर्ष १० । श्रीवीरात् वर्ष १७२ प्रोष्ठिलाचार्य वर्ष १९ । श्रीवीरात् वर्ष १९१ क्षत्रियाचार्य वर्ष १७ । श्रीवीरात् वर्ष २०८ जयसेनाचार्य वर्ष २१ । श्रीवीरात् वर्ष २२९ नागसेनाचार्य वर्ष १८ । श्रीवीरात् वर्ष २४७ सिद्धार्थाचार्य वर्ष १७ | श्रीवीरात् वर्ष २६४ धृतिसेनाचार्य वर्ष १८ | श्रीवीरात् वर्ष २८२ विजयाचार्य वर्ष १३ | श्रीवीरान् वर्ष २९५ बुद्धिलिङ्गाचार्य वर्ष २० | श्रीवीरात् वर्ष ३१५ देवाचार्य वर्ष १४ | श्रीवीरात् वर्ष ३२९ धर्मसेनाचार्य ॥ वर्ष १८३ पर्यन्त दशपूर्व का धारी हुवा | १८३ वर्ष एक सो तियासी मै ।
(5) सो दश पूर्व के लिखदै स्याही तोल चालीस के ग्यारा हजार एक सो पैसा कोडिमण भर दोय लाखमण अठावन हजारमण तीनि से तिराणवैमण सेर पटरा लागे ॥
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सो यो एतो पाठयाँ ११ आचार्या नै कण्ठ आवैतो भर पुस्तक न छौं ।
19 Read
12 MS. metre nor sense.
वासी । 15 Skr. द्विकहीनं । 14 [MS. विष्णु । 10 MS. वरक्ख. 16 MS. मुद्ध which agrees with neither 17 Not in MS., but some such addition required by the metre. 18_MS. ५२८८४६२२ । अयरिय metri causa. 20 This line is not orthographically correct. 21MS. उगणीसह ; the metre is upagiti. अठारह and वीसह.
22 MS.
2 MS. पदरा ।