Book Title: Hindi ke Mahakavyo me chitrit Bhagavana Mahavira
Author(s): Sushma Gunvant Rote
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 6
________________ 4. अभिनन्दननाथ 7. सुपार्श्वनाथ 10. शीतलनाथ 5. सुमतिनाथ 8. चन्द्रप्रभनाथ 11. श्रेयांसनाथ 6. पदाप्रभनाथ 9. पुण्सदन्तनाथ 12. वासुपूज्यनाथ 15. धर्मनाथ 13. विमलनाथ 1. शान्तिनाथ 19. मल्लिनाथ 22. नेमिनाथ 24. महावीर (वर्द्धमान) जैन इतिहास में त्रेसठ शलाका पुरुषों के वर्णन उपलब्ध होते हैं। इनमें से 2-1 तीर्थंकर ऐते शलाका पुरुष हैं, जिन्होंने मानव सभ्यता के उस काल में समाज की एक क्रमबद्ध रूप देने का प्रयास किया। 14. अनन्तनाथ 17. कुन्धुनाथ २९. पुनिसुव्रतनाथ 28. पाश्र्वनाथ 18. अरहनाथ 21. नमिनाथ चौबीस तीथंकरों में ने प्रथम तीर्थंकर वृषभनाथ, इक्कीसवें नमिनाथ, बाईसवें नेमिनाथ, तेईसवें पार्श्वनाथ तथा चौबीसवें भगवान लीघंकर महावीर गुराण और इतिहास की पहुँच में हैं। शेष तीर्थकरों के ऐतिहासिक प्रमाण उपलब्ध नहीं हुए हैं। भगवान वृषभनाथ प्रथम तीर्थंकर का उल्लेख जैन पुराणों के अतिरिक्त, ऋग्वेद, श्रीमद्भागवत, शिवपुराण इत्यादि में मिलता है। मोहन-जो-दडो के खंडहरों से प्राप्त योगीश्वर वृषभ की कायोत्सर्ग मुद्रा उसकी प्रागैतिहासिकता को सिद्ध करती है। जैनमत में आत्मविद्या के प्रथम पुरस्कर्ता प्रवर्तक भगवान वृषभदेव माने गये हैं। भरतक्षेत्र के कालचक्र में वे प्रथम केवली, प्रथम जिन, प्रथम तीर्थंकर और प्रथम धर्मचक्रवर्ती थे। गृहस्थों के लिए अणुव्रतों का तथा साधुओं के लिए महाव्रतों के धर्मोपदेश की वह विमल स्रोतस्विनी अतिदीर्घ मार्ग को पार करती हुई भगवान महावीर के समय तक प्रवाहित होती आयी है। महावीर ने अनेकान्त द्वारा जैनधर्म को युगानुकूल रूप दिया। 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर और प्रथम तीर्थंकर वृषभदेव के बीच का समय असंख्यात वर्षों का है। तीर्थंकर नेमिनाथ का काल ई. पू. 1000 के लगभग माना जाता है। भगवान पार्श्वनाथ का निर्वाण काल ई. पू. 777 है। ई. पू. 599 में भगवान महावीर का जन्म हुआ था। भगवान महावीर जैनधर्म के तीर्थप्रवतंक कहे गये हैं । अतः यह सुविदित है कि जैने तीर्थकरों की परम्परा अत्यन्त प्राचीन है। भगवान महावीर अन्तिम चौबीसवें तीर्थकर थे I आधुनिक हिन्दी के महाकाव्यों में भगवान महावीर की जीवनी आधुनिक हिन्दी के महावीर चरित महाकाव्यों में कवियों ने भगवान महावीर की जीवनी को सम्पूर्णता के साथ प्रस्तुत किया हैं। भगवान महावीर ऐतिहासिक महापुरुष थे। ये जैनधर्म के प्रवर्तक थे। हिन्दी-साहित्य के आधुनिक काल में जो महावीर चरित्र पर महाकाव्य लिखे गये, उनका मूल आधार प्राकृत संस्कृत, अपभ्रंश एवं पुरानी प्राचीन हिन्दी के जैन साहित्य एवं महावीर पुराण ही रहे हैं। आधुनिक 12 हिन्दी के महाकाव्यों में चित्रित भगवान महावीर

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