Book Title: Gyandipika arthat Jaindyot Author(s): Parvati Sati Publisher: Maherchand Lakshmandas View full book textPage 5
________________ पृष्ठ पंक्ति अशुद्धि Voo १३ १५ २१ રહ ३९ ३२ ३२ ३६ ४० ४७ ५० ५६ ५७ ६७ ६७ ७० ૨ ॥ अशुद्धि शुद्ध पत्रम् || शुद्धि 104 १.१ ११ W n १३ ११ a" an १९३ An १८ vwa १६ १० १२ m १३ तवय भाव मंर्वगा चोपट सिद्धि विधारक सक्ता प्रचीन लिखा दासी समान تمد फिर भी स्थावर #1 करें ता विचारने देखने काम क्षयोपम माप्य मापना तत्व को समित को मानते जीता तव पसाव संवेगी चोपड़े सद्धि वधारक सक्ती प्राचीन लिखे दिक्षा समत दप्ढ फिर और भी स्थावरा की ॥ १२ ॥ करे और जो पक्षम को मुख करके पूजे दो विचरने देखने से काम क्षयोपशम माष्पमायप तत्व के सचित को पूजना मानने जीतPage Navigation
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