Book Title: Gaudavaho
Author(s): Vakpatiraj, Narhari Govind Suru, P L Vaidya, A N Upadhye, H C Bhayani
Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad
________________
296
1030
ओअरणा दिठ्ठच्छेअ° . ओणविअसवणतव ओसरइ समुप्पअणा ओसरिअसिहरबंधा ओसारिअगिरगारव ओसारिअम्मि पच्छा
528 171 1196
च्छा
1166
1166
16
अंगमवलंबिआलंबि अंगाई पअणुआई पि अंगाई विण्हुणो वामण अंगेसु बिंदुणिबिडा अंतोघरचिरणिग्गमण अंतोच्चिअ णिहुअं विह अंतोमणिदामच्छवि अंतोवरिं च परिसं अंतोवासं विअडा अंतोसंलीणफणा अंदोलइ दिणलच्छी अंदोलंताण खणं
780
Gaüqavaho 496 कमलद्धालोअं फणि
206 कमलवणविणिग्ग . 817 करकलिअखग्गलेहा
662 करसंदिरेण सोहसि 458 करहपओअरविसमाई
करिकरदंडामोडण
कलहोइमआई णवरं 326 कल्लोलसिसिरपवणा 1148 कवलिअकीरिडिचूडा
कं व ण हरंति णिबिडा
कह वि धरेइ महिअलं 1002
कह वि समुप्पअणवसा 364
कामडहणाणुतावा 915
कामो वरकामिअणं
कारणकिरिखंदुक्खेव 1056
कारासु पढमणुहू 848
कालगुणा पढमकईहिँ कालवसा णासमुवा
कालीकअसरसगल 875
का वि सिरी गअगोहण'
कासारविरलकुमुआ 1057
किरणकिलामिअपरिअर' 382
किविणाण अण्णविसए 734
कि अण्णमणण्णमणेहि 425
किं णु हु कलाणिरंतर 691 किंपि दुमजज्जरेसुं 1036 किंपि विकंपिअगिम्हा
32 किं रतुसमारूढगुणाण 159 किं व गरिदेहिं विवेअ° 353 किं व सरूववरोच्चिअ 85 कीऍ वि अहिणवभुमआ 767 कीडाविलंकुरसिहा T कीरइ व तस्स ताली
581 546 889 543 492 274 123 497 314 1122 1049 1198
84 945 1091 401 271 198 919
1082
88
847
183 608
कंठकुसुमेसु बहुसो कंठणिहु च गी कंठणिरोहुव्वणवित्थरंत° कंठाहोएसु का कंठेच्चिा परिघोलइ कंठोसरिएक्कथणा कडएहिं तहेअ मही कड्डिअकुसुमरउक्कर' कढिणगिरिवक्खसूडण कण्णट्ठिअसिहिपिच्छ फत्तो णाम ण 8 कंपाओ वहति थणत्थ कबरीबंधा अज्जवि
355
K
903 949 1123 405 351
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org
Page Navigation
1 ... 591 592 593 594 595 596 597 598 599 600 601 602 603 604 605 606 607 608 609 610 611 612 613 614 615 616 617 618 619 620 621 622 623 624 625 626 627 628 629 630 631 632 633 634 635 636 637 638