Book Title: Gaudavaho
Author(s): Vakpatiraj, Narhari Govind Suru, P L Vaidya, A N Upadhye, H C Bhayani
Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad
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Appendix I
299
245 231 72
879
झ
554
721
700
*754 जं इअरोवद्दवविद्दुआ 1165 जं जं समुप्पअंता 1090 जं णिम्मला वि खिम्जति 752 जं सुअणेसु णिअसइ 488 857 झिल्लीजलकणसीअल° 73 झीणा एक्के तु असिम्मि 708
टंकमुहाहअकढिणट्ठि
टिविडिक्किअडिभाणं 1087 766
ठिअभमरपंकभावा
ठिअमट्ठिअं व दीसइ 213
डझंतविसहरुक्कर 1202 302
डझंति विसाणलवा उज्झंति सरलसुंकार'. डिबं वो चामुंडाएँ
720
598
345
753
66
926
जाओ सइदिण्णसंणेज्झ जाअं तारावइणो जाअं व धूमसंचय जा कण्णकिसलकरअल जा जिण्हुणा णराहिब जाण अलंकारसमो जाण असमेहिँ विहिआ जाण णिअच्चेअ गुणा जाण सरूवावगमे जाणं ण पुरिसआरो जामवईमुहभरिए जा रोसुक्कंपिअकण्ण जा ललिअलआलीलं जा विउला जाओ चिरं जा सुहडासिणिवासा जाहे च्चिअ तं चलणो जाहे रअणीरूवेण फुरसि जीऍ समारंभेच्चिअ जे अच्जवि हिमसेलंत? जे अत्तणो ण अहिआ जे आसि गिरीण पुरा जे कुंकुमत्थलीसुं जे गेण्हंति सयंचिअ 'जे चंचलचामरपम्हलेहि जेण गुणग्घविआण वि जेण णहोगअसिहरेण जे णिव्वडिअगुआ वि हु जे पोहखणपरिट्ठि मेसु गिरी अवणीआ जे सुण्णा इव बहुसो जेसुंचिअ कुंठिज्जइ जो अप्पणाणसारं जो ववसाआवसरेसु
478. 121
175
934
46
261
96
267
387 924. 288 901 1197 411
74 1135
55
969
449 ण चलइ णवंबुधोअं 256 जणु णासमणवलंबा 908 णणु तुम्हं संभरणे
ण तहा महागुणेसुं णंदइ तुह विणिअत्तस्स गंदंति णंदिअदुमा गंदंतु णिअअगुण
णमइ णडालंचिअ 257
णमह दणुइंदणिहणे
णमह विआरिअदणुइंद P. णवकणकिंकिणीणिह
__णबकेअइवासि M. गबधारापडिबझंत 104 णवबाणकोउहल्लेण
283
865
367 379 655 597
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