Book Title: Gaudavaho
Author(s): Vakpatiraj, Narhari Govind Suru, P L Vaidya, A N Upadhye, H C Bhayani
Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad
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समगुणदोसा दोसेक्क° समजाइ त्तणसंभाविओ
समभावपअत्तूसास
समरे धारागोअर°
समरेसु खग्गधारा°
समहिअसंज्झाराआ
सरसट्ठिदंड लोण
सरसणहराइमग्गेहिं
सरसपडिबोहलंघिअ
सरसमअतंबिमाहअ
सरहससंचारतरं
सरिआओ अणेअ
सरिआण णिरंतरमिलिअ
सरिआण तरंगिअपंक' सविमो अणज्जुणमिमं सव्वंगं विणिवेसो
सव्वत्तो हारमऊह
सव्वत्थामोणमिअं
संवेल्लिऊण एक्कं
सव्वोच्चिअ सगुणु ससिएहिंचिअ लोओ
ससिणो समोसरांती
ससिमिव णवोइअं
संसेविऊण दोसे
सहइ जलद्दासंदाण सहइ गरिद परिणओ
सहइ थणवट्ठसंठिअ°
सहीपसत्तकुररा सहिखधट्ठिअदाहिण
सा चडुला कह णु गुणु सा अइ चउमुहास सा जअइ हरसिरत्थम्मि सा जयइ मई गरुआ साणंदरोहिणीबाहु
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Gaüḍavaho
964 सामण्णसुंदरीणं
1195
1163
928
212
402
328 सावअपअवीभिण्णा'
1150 सासअमिअंकमणि
सामण्णाई वि णाम
सामाअइ सेअलआ
सामाअंते वि मही
सायं मिलंति कम
सायं समारुआसार
187 सासुक्खअरयलहु 1140 साहासु बंधपरिवेस 833 साहिज्जइ गउडवहो 950 साहीणसज्जणा वि हु 1078 साही गमुहसहस्सो 525 सिढिलपसारिअवक्खा 240 सिरिथणणिवेसमग्गा 1000 सिसिरच्छासु चिरं 1060 सिसिरम्मि विरलकुसुमे
1001 सिहरणपहुत्तगअणा
1081
सीलेण जइ वि विमलो
सीसइ व जस्स तारा
सीसम्मि कओ महिसस्स
सुअणत्तणेण घेप्पइ
सुअणसहावे वि गओ
सुअणाअंति खला वि हु 163 सुकइ. भेसु जाण
216 सुट्ठ वि परिहीणगुणो 835 सुत्तणिवेसं पिव देंति
531 सुमईण सुचरिआण 204 सुरहिमिह गंधमा 933 सुलहोवहाररुहिर 47 सुलहं हि गुणाहाणं 59 सुसिरोसरिअसकद्दम L सुहडाअड्ढिअकोअंड 196 सुहसंगगारवेच्चिअ
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