Book Title: Gaudavaho
Author(s): Vakpatiraj, Narhari Govind Suru, P L Vaidya, A N Upadhye, H C Bhayani
Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad

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Page 612
________________ man. Appendix III 1 Quoted in सुवृत्ततिलक by क्षेमेन्द्र. उच्छूठनारुणमश्रुनिर्गमवशात् चक्षुर्गतं मन्थरं सोमश्वासक दर्थिताधररुचिः, व्यस्तालका भ्रूलता आपाण्डुः करपल्लवे च निभृतं शेते कपोलस्थली मुग्धे कस्य तपः फलं परिणतं यस्मै तवेयं दशा ॥ From कवीन्द्रसमुच्चय " कामस्यापि शराहतिर्न गणिता त्वं जीवनं संस्मृता नो दग्धो विरहानलेन झटिति त्वत्संगमाशासृतैः । नीतोऽयं दिवसो विचित्रलिखितैः संकल्परूपैर्मया किञ्चान्यन्मनसि स्थिताऽसि ननु मे तत्र स्वयं साक्षिणी ॥ -- From सूक्तिमुक्तावलि over the name Rājaputra YasovarDr. Keith takes it as our Yasovarman's verse. Jain Education International 315 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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