Book Title: Gaudavaho
Author(s): Vakpatiraj, Narhari Govind Suru, P L Vaidya, A N Upadhye, H C Bhayani
Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad

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Page 604
________________ विब्भमपरिरंभण्णोण विभमवईण भिज्जंत बिरलट्ठिअमहुअर विरसम्म वि पडिलग्गं विरसाअंता बहल विरहविणिग्गअसेस ब विलुलिअपि संगवल्ली विवरसमोसरिअ विवरीअं व तइ इमं विविणेहमज्जणट्ठिअ विसइच्चेअ सरहसं विसमत्तणं पि विहिणो विससिज्जत महापसु विसहंति णिअविसाणल faess व्ववसिहा विडिवसुहादलि विहडतघणविमुक्का विहडति णहणिवाआ विहवाअंतारिवह विहिणा जाण णडालेसु वीआभरणा अकअण्ण वीरविइण्णविकोसासि साममंथराअंत वीसंभमगंतूणं व वुब्भइ ओलिभाभाव° जम्म बूढोअअकअर 'वेअल्लवेल्लिराणं वेरुलिहणिहा तं णमह वेल्लहलं गुलिकरकमल वेल्लंति कंदरोअर das सरणागअविस वेव्वदुक्खविहलाण चोलंति णिअपमाणा Jain Education International Appendix I 197 वोलिति गिम्हणिद्दं वोलेइ लआसंकलिअ 661 599 वंसम्मि तस्स रअणी 994 स 993 सअलं विसमविरस 1149 सअलाओ इमं वाआ 386 असुंचेr दिसा 167 सड़ जाढरचिता 724 461 913 707 संकामंथरसंचार 319 संकंतमहिरओधूसराई 390 संकंताओ व रोसारुण 741 संकंतासेस सरस्स 156 818 संगलइ मरुअअ 823 संगलणमासलाअंत 218 संचरइ चिरपरिग्गह 711 सच्चं तुमम्मि दिट्ठे 1124 सच्चविआसअलगुणं 306 सज्झससंजाअजरा 1026 संज्झससंवे उम्मीलणे 1207 संज्झालत्तअधरिअम्मि 341 संणद्धम अणसाहिज्ज 893 संणिज्झेणं व सिरीऍ 375 संतत्थविरलकंकं 137 संतावायासोप्पिअ सइ सिद्धसिद्धिमंडल सइ संघट्टसमुज्जल सउणमरालजणवआ संखाअमसिणपसरा 49 संबूअचुण्णसबला 732 संभमचलंतदिग्गअ O 118 संभमपुणरुत्तारुण 483 संभमभमंतविज्जा S. संभाविअकामहरो 701 संभाविअचित्तविआर For Private & Personal Use Only 307 361 547 1065 1004 93 725 972 315 765 Y. 429 1199 305 1206 133 786 580 190 706 967 475 1066 1089 1116 709 541 462 529 825 477 827 1151 738 www.jainelibrary.org

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