Book Title: Gaudavaho
Author(s): Vakpatiraj, Narhari Govind Suru, P L Vaidya, A N Upadhye, H C Bhayani
Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad

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Page 599
________________ 332 Gaüdanaho घिरवासणसमुत्था थुम्वसि तक्खण थीअमिव खामगंड थोअमिव विअडगमणा थोडासुरामअसंभिष्ण थोआअंति व विरला थोआरंभे वि विहिम्मि थोउम्वत्तणलक्खि थोएण वि दूमिज्जइ थोवागअदोसच्चि 1169 1103 820 965 966 1018 136 447 806 264 575 678 763 217 603 935 872 946 दीसइ णिसासु तारा 298 दीसइ दिसासु तारा 794 दीसइ वेउग्घाडि 1080 दीसह सामाअंतो व्द 369 दोसंतणिम्मलो जइ वि __127 दोसतिं कुम्मतुलिआ । 984 दोसंति कुलिसमिलिआ 1095 दीसति गमणणिवडिअ 1142 दीसति जअविणासु 960 दीसति जाण परिअत्त दीसंति तहपरिट्ठि 692 वीसंति पढमपीढा 1162 दीहपिहलत्तणेणं 423 दीहरपआवमलं . 132 दीहरहेमंतणिसा 162 दुक्खाभावो ण सुहं 793 दुक्खोहि दोहिं सुअणा 970 दुग्नमभावटिअणीलि 13 दूमिज्जताइँ वि सुह V. दूमिज्जंता हिअएण दूमंति सज्जणाणं दूरअरं उप्पइआ दूरत्तणपढमणिअत्त देउ सुहं वो पसुवइ देहद्धद्धपरिट्टिअगोरि 210 देहपरिवाडिपीडा 286 दोग्गच्चम्मि वि सोक्खाई 259 दोच्चिअ णवरं हिअए दोब्बल्लपंडुराणं दसणणिवीअमिसा 1040 702 124 घअवडधाराणिवेहि 389 धम्मपसूआ कह होउ 673 938 884 प10 121 दइअगहिआलआवलि दईआएँ वि को वि णिहा दक्खिणदिसारिदेण वड्ढवणराइकलुसा दरचक्खिअमइराम दरमउलणमज्झोण दविणोवआरतुच्छा दाढा महावराहस्स दारिअरिउगअम दावेंति सज्जणाणं दिअभूमिसु दाणजलु दिअसे वि भूअसंभा दिट्ठाओ णवणवाणण° दिट्ठी सचंदणेसु दिटे पहुम्मि अबलाण दिलृ साहेज्जारूढ दिण्णाओ पणालीओ व दिण्णं पूरा जहिच्छं दिव्वविडवाहिरामे वि दीसइ करताडणमूढ दीसइ घडणुम्मिल्लंत दीसइ जलंतसेलं दीसइ णिरंतरुभिण्ण 971 230 684 1079 426 58 211 39 851 64 R. 973 505 795 761 322 925 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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