Book Title: Epigraphia Indica Vol 06
Author(s): E Hultzsch
Publisher: Archaeological Survey of India

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Page 321
________________ 270 EPIGRAPHIA INDICA. [VOL. VI 6 [भिलाषीहतधीभोसंगकुरंग्गयीत6 किरणस्याचे धिशौभा] दधौ । [१] पासीचतुनाभिजनाव[स][:] [श्री]बुध्यवर्म[7] कृत. 8 पुण्यकर्मा [1] [संपामरंगे निजनाथवर्मा 9 संपादिताशेषक[वींद्रशा । [२] भूत्यतत्य10 बिमयेन रंजयवंजुनेय व राव. 11 णच्छिदं [1] वैनतेय इव चक्रिणं च तं सार्बभौ. 12 मतिलकं स [शोभते] । [३] चिसप्ततिग्रामवतीम्म18 हीन्महीपतिप्रसादोपनताबसाहितः [*] 14 गिरिप्रतीचीविजराजांच्छनेस पालयामा. 15 स विलासवासकः । [*] वंशकषु' गवेषु केषुचि16 त्तत्कुलादजनि [म]डभूपति: [1] मंडलेख. 17 रसिखंडमंडनो' मंडनादजनि गंडभू18 पतिः । [५] पथ रविरिव पूवशैलचिंगा[तुहिन19 मरोचिरिवबिधः कुमारः [*] 'भरवन[वन]. 20 [जा]दिवोत्सवात्र्ष समजनि मंडविभुर्वि21 भोरमुभात् । [१] पत्र खालतिकात्रि22 ता जय()श्री जावितभुवादिराज23 "भिर्भुशावत्यपि पतिव्रता कता तन" राज. 24 तनयेन मानिना ॥ [0]. पुरंहरसेव" पु25 लीमपुत्री सीतेव रामस्य रमेव मौर: [1] 28 बभुव" देवी जनपस्य तस्य कुंदांभिका" 27 राजभृतोभिकेव" । [१] ताभ्यामुभाभ्यां ज28 गदुसवाय श्रीबुहराजोजनि 29 कीर्तिदानी" "] तेनैव जातामह वईमा-" INo. 283 of 1893 read. 'चायो'. No. 288 of 1893 reads साबमीभा. Read योजनेय. 'No. 288 of 1892 reada सेवते. •No.288 of 1899 reeda क .. INo. 283 of 1893 read. 'भिखंड • Read पूर्ववशृंगा.. .No. 288 of 1892 read रवी . "No. 288 of 1899 rends यख. - Read श्री जा. . Read "मिः । मुक्त u No. 988 of 1892 ronde 49. No. 293 of 1893 rendsरस्येष. "No.283 of 1893 reads बभूव. "K0.288 of 1893 reads दीपिका. No. 288 of 1892 resda विव "No. 288 of 1892 rend. श्रीबुर "80.288 of 1899 read जानि[:]. ► No. 988 of 1899 reads To.

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