Book Title: Epigraphia Indica Vol 06
Author(s): E Hultzsch
Publisher: Archaeological Survey of India
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EPIGRAPHIA INDICA.
[VoL. VI..
54 बाहुसंख्यं दीप प्रादादखंडं [ख]55 यमपि वेलनांडभूतले बुद्ध[भू]प: 56 ॥ [१३] स्वस्ति समधिगतपंचमहाशब्दम. 57 [हामंडलेश्वर' कुलोत्तुंम्गची[ड] देवर 58 दिव्यश्वीपादपद्माराधक परबलसाधः 59 क दुर्जयकुलाचलमगेंद्र सत्यह. 60 रिश्चंद्र प्रतिज्ञापरसराम अनियं61 कभीम सत्यराधेय शौचगांगेय ए62 लदायसिंह विक्रमबिसिंह' सुज63 नजनवनवसंत कांताजयंत वि. 64 वेकपद्मासन गिरिपश्चिमशासन वित65 रणरणविनोद 'कस्तुरिकामीद ह. 66 यवत्सराज राजमनोज नामादि. 67 समस्तप्रशस्तसहित श्रीमन्महाम: 68 डलेश्वर कोंडपड्मटिबुहराजुलु 69 धनदप्रोलि श्रीपंडीवरमह[ [देव. 70 रकु शकवर्षबुलु १.८३ नेटि [उत्त(r)71 रायणनिमित्तमुन निवेद्यार्थ72 नकु नादिंड बैटिन भूमि ख २ [*] 73 ॥ देवरक प्रखंडवर्तिदीपंबुनकुं"
East Face. 74 बैटिन गोळियलु ५५ [*] वीनिं जैको75 नि चामेनबोयुनि कोड्कु सूर्य76 बोयिनि पूंटनु कोम्मनबोयिनि कोड्कु 77 भीमनबोयुंडु तन पुत्रानु78 पौत्रिकमु पाचंद्राकमु धनदव्रो79 लि श्रीपंडीवरमहादेवरकुनखं80 डवर्तिदीपंबुनकु नित्य मान]डु
Read ito.
..No.228 of 1899 inserts पौरमीश्वर. .No. 298 of 1892 read देवदिव्यश्रीपादाराधक. • No. 228 of 1892 read. परपराम. SNo. 228 of 1899 renda सौचाजुनेय (1). .No. 228 of 1892 read. कृसिंह.
INo. 228 of 1892 reads कसरिका. • No. 298 of 1892 rends प्रमस्ति'.
• The ansodra stands at the beginning of the next line. 30 Read fan.
- Read देवरकु. 17 The anuspara stands at the begivning of the next line.
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