Book Title: Epigraphia Indica Vol 06
Author(s): E Hultzsch
Publisher: Archaeological Survey of India

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Page 406
________________ No. 35.] TEKI PLATES OF RAJARAJA-OHODAGANGA. 341 59 तिहतं ध्वांतं हिषच्छजक वैरिस्त्रीककुभांगणादपगता हारच्छलास्तारकाः [*] ताप60 व्याजहुताशनी रिपुवधूहमर्यकांतेष्वभूहेंगीदेशमहोदयोव61 तिमति श्रीराजराजे रवौ । [३३] शाकाब्दे रसखांबरदुगणिते ज्येष्ठेच मासे सिते पक्षे पूर्वतिधौ' । 62 दिने सुरगुरोज्येष्ठां शशांके गते [1] सिंह लग्नवरे समस्तजगतीराज्या भिषिक्तो मुदै लोक63 स्योद्दहति स्म पदृमनघ[:*] श्रीराजराजो विभुः । [३४] भूलोकादुदिता महोबतिमती दिनण्ड64 लव्यापिनी संक्रांताखिलसत्पधा' परिगता लोकानधो नपि' [*] सन्मार्गा चलितां भुवीह पतितां' 65 पश्चादधोगामिनी गंगां कीर्तिरमंगलप्रमधनी' यस्यातिशेततरां ॥ ३५"] कोदण्डे रामभद्राद्रिपुकुलद66 लने भागवानंदरानेस्मार यास्त्रांबुराशौ कलशभवमुनर्विक्रमे वायुसूनीः [*] यस्मादबन्धा Third Plate; Second Side. 67 पसर्पप्रमथनगिलनो[घ]नावृत्तिशंकी नूनं रखाकरोय. प्रदिशति बहुशो रबराशीन् विचित्रान् ॥ ३६"] यः पुन63 रिक्षतेजोधिकतया मध्यमलोकपालोयमिति लोकेन लोकपालमह बहुमतोपि गोत्रवई69 नतया पतिविशाल[कीर्तिर्गोत्रभेदनप्रवादिनी वृत्रशत्रीसमस्तभुवनाश्रय[:.] खात्रयप्रदा70 हिनी दहनात् [*] वदान्यकुलमान्यपुण्यचरितो दक्षिणाशावलंबनशीलपरि पालिन: कालात् । सकलविबुधसम[1]ज11 संसेव्यमानो विबुधविपचतो राच[साधी[ख] रात । विक्रमाक्रांत निखिलभूभुवनो लुब्धकादिव वन[मात्र]गोच72 रा[६]रुणात् [*] "भुवनभवरक्षणास्थित[स्थे]र्यकोटिमंततचपलखभावात प्रभंजनात् [1] सकललोकीपभोगसपलीक्वतध-" 1 Read छत्रकं. • Read ज्येष्ठेच. • Read पूर्थतिषी. • Read सिंह. • Read सत्पथा. • Read euato. 7 The ansiedra stands at the beginning of the next line. • Read प्रमथनी. . Read रोयं. * The akakaras à are written on an ertsure. 11 A second 7 is written above the 7 st the beginning of the line. 1 The of is corrected from 1 The upper stroke of the ai of uw is missing. " Read "सफलौं.

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