Book Title: Dwatrinshada Dwatrinshika Prakran Part 8
Author(s): Yashovijay Upadhyay, Yashovijay of Jayaghoshsuri
Publisher: Andheri Jain Sangh
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• परिशिष्ट- ६ •
२२२८
१३६४, १४७७, १७२५
(३७७) तत्त्वानुशासन ( ३७८) तत्त्वार्थभाष्यवृत्ति ८६, १२४, १२६, ४५५, ५३२,
५३३, ६४०, ६७४, १०२६, १११०, ११७१, ११७२, १२२७, १३८७, १३८८, १४५२, १४८१, १६५७
७६८, ७९९, ८६०, १००५, १०८१, १११२, १११७, ११३०, १३४७, १४२४, १४८०, १४८७, १४९४, १५१६, १५९८, १६००, १६०१, १६०२, १६२१, १६२६, १६४२, १६६४, १६८५, १६८६, १७००, १७२५, १८५८, २१५६, २१५९, २१६१ (४०२) तैत्तिरीयब्राह्मण ३३०, ४८६, ५०३, ५०४, ८६३, ८७२, १२९८, १४२१
( ३७९) तत्त्वार्थराजवार्तिकवृत्ति जुओ राजवार्तिक ( ३८०) तत्त्वार्थश्लोकवार्त्तिक ५२८, २०३४, २०६३ (३८१) तत्त्वार्थसार १५५५, २१३४
( ३८२) तत्त्वार्थसूत्र ३४, १२५, ४३४, ५२२, ५३०, ८२०, ८६९, १०२६,१३१९, १३८८, १४८१, १६६१,१७००,
(४०३ ) तैत्तिरीयारण्यक ९, ७५, ५१८, ८५०, ८५३, ८५९,८६२, ८६३, ११०६, १४२१, १४७८, १५१८, १८७६
१८८३, १८८६, १९५२, २०२६, २११४, २१३७ | (४०४) तैत्तिरीयारण्यकनारायणोपनिषद् २५२, ५१९ (३८३) तत्त्वार्थसूत्रभाष्य २४, ४२६, ५१७, ५२८, ५२९, (४०५) तैत्तिरीयारण्यकसायणभाष्य
४९९
(४०६ ) तैत्तिरीयोपनिषद् ५८४, ८३६, ८५७, ८५९,८६२,
१००७, १०२६, १०३०, १२२३, १२२५, १२२६, १२६१, १२८६, १३८८, १४०९, १४२७, १४८१, १५४३, १६१०, १८१८,१९२७, १९६२,१९६५, १९७५ ( ३८४ ) तत्त्वार्थसूत्रवृत्ति ( देवगुप्तसूरिकृत ) ८६ ( ३८५) तत्त्वार्थसूत्रवृत्ति ( यशो . वृत्ति) (३८६) तत्त्वार्थसूत्रवृत्ति ( श्रुतसागरीय ) ( ३८७) तत्त्वार्थसूत्रवृत्ति ( सिद्धसेनीय)
६७
२०१६
४५५,
५३२, ६४०, ६७४, १०२६, ११७१, १३८७, १४५२, १४८१, १६५७
(३८८) तन्त्रवार्तिक ५७६, १७०९, १८९५ (३८९) तन्त्रोपाख्यान
८५९
(३९०) तन्दुलवैचारिकप्रकीर्णक ८७२, ११७९, १२००,
१५३१, १८६९
५१७, १८३४ ५७०, ७४८
८९५
१३६६
१२८४
(३९३) ताण्ड्यब्राह्मण (३९४) तात्पर्यवृत्ति (३९५) तारकोपनिषद् १११२ (३९६ ) तिलकमञ्जरी (३९७) तीर्थोद्गालीप्रकीर्णक २२, १२५, १५४, १७१, ४४१, ६१३, ८४५, ८९८, ११६९, १५५७, १८५६, १९५२, १९५४, २००४, २००५, २१६० (३९८) तुरीयातीतोपनिषद् १८८८
(३९९) तुरीयोपनिषद् १११३, १६२६
(३९१) तपः कुलक (३९२) तर्कसङ्ग्रह
८९८, १०००, १०६४, ११०७, १४१८, १४२१,१७०१, १८९४, २१२६, २१५६, २१५७
(४०७) त्रिपाद्विभूतिमहानारायणोपनिषद् २९८,३०३, ३७५, ७६०,७९९, ८७०, १११८, १५००, १५९६, १६००, १६०१, १६२७, १७२३, २०९२, २१२६, २१५६
(४०८) त्रिपुरातापिन्युपनिषद् २९५, ७३४, ८६८, १०६२, १३९४, १६००, १७७५, २१३०
(४०९) त्रिपुरोपनिषद्
( ४१० ) त्रिलोकप्रज्ञप्ति
८६८
६७४, १२३६, १२३८ ८९८
( ४११ ) त्रिलोकसार (४१२ ) त्रिशिखिब्राह्मणोपनिषद् ५५६, ८०७, १२५०, १४२४,
१४८०, १४९४, १५१०, १५१६, १६२१, १६४२, १६६४, १६८७, १८०८
(४१३) त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र
८०, १२७, १८४. २७०, २७५, ९७५, ९८९, ९९४, ९९५, १००७, १०६८, ११७८, १३८७, १७६५, १७७१, १७७५, २१६९, २१७१, २१७३
( ४१४) त्रैलोक्यदीपिका १५९१
(४१५ ) थेरीगाथा १७१, ८५७, ८५९, ८७३, १००८,
१०८०, १२८४, १८६३, १९७८, २११०
४१४, ४९९
( ४१६) दक्षसंहिता १४२२, २१०५ (४१७) दक्षस्मृति (४१८) दक्षिणामूर्क्युपनिषद् ( ४१९) दत्तात्रेययामल
३९४
(४००) तुलस्युपनिषद् १४७७
१९०१
(४०१ ) तेजोबिन्दूपनिषद् ६२८, ६९४, ७२८, ७३२, ७३४, (४२०) दत्तात्रेयोपनिषद् ८६८
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