Book Title: Dwatrinshada Dwatrinshika Prakran Part 8
Author(s): Yashovijay Upadhyay, Yashovijay of Jayaghoshsuri
Publisher: Andheri Jain Sangh

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Page 206
________________ •परिशिष्ट-७. २२४९ परिशिष्ट-७) ४६६ ६३९ ग्रन्थकृतां तु नामानि, नयलतागतानि वै । अकारादिक्रमेणैव, प्रदर्श्यन्तेऽधुना मुदा ।। अकलकाचार्य १७५४ कल्याणविजयगणी अगस्त्यसिंहसूरि ३९६, ५३०, ६४१, ६४६, ६५३, ६५६, कालीदास १२२३ १८५३, १८५७, १८६७, १८८२, १८८३, १८८४, कालीपदशर्मा १७७१ १८९२, १८९३, १९६४, १९६६, १९७३, १९९६ कुन्दकुन्दाचार्य १७३, ३९४, ४५४, ५३६, ८१९, अत्रिमहर्षि ३९६, ४९९ १२९५, १३५९, १३६०, १६३१, १७०१, १९३२, अनन्तदेव १११५-१११६, १७९४, १८१६ । १९४२, १९९४ अभयदेवसूरि ५, १२, ५१, ५२, १२३, १५६, कुमारिलभट्ट ५७४, ११६७, १७१०, २०३१, १७६, १८४, १८८, ४६२, ६५५, ७३१, ८५५, २१०८, २११४, २११५, २१५९ ८९५, ९३९, ९४५, ९५७, १२७०, १३१३, १६५८, | कुलभद्रसूरि १०७४, १२३६, १५४५ १९१७, १९४६, २०२६, २०४५ कुल्लूकभट्ट १७, ४११, ४६९, ४७०, अमरचन्द्र २०३० ४७५, ४८०, ११४१ अमितगति ४०, ४४२, ४५४, ४८९, ४९२, कृष्णमिश्र १५७५ ६९२, ११७१, ११८८, १२८४, १५४२, १५४६, केशववर्णी १५५६, १५९२, १६३४, १६६५, १६६६, १७८२, केशिध्वज १६६४ १८६५, २१६८, २१६९ कोट्याचार्य १२३३, १२३७ अमृतचन्द्राचार्य १३६६, १६२६ क्षेमकीर्तिसूरि ६६२, १९८६, १९८९ अवधूताचार्य १५९१ गङ्गशोपाध्याय ३४२, ३४३, ११८०, १७६९, अश्वघोष १२९५ २०७०, २१०४, २१२४, २१३१, २१४९, २१५१ आमितगति १६२६ गदाधर २१५४ आशाधर १२८४ ८७४ ईश्वरकृष्ण ५८५, ७८५ | गणचन्द्रगणी (महावीरचरिय) २७४. ५५३ उदयनाचार्य २४७, ३३४, ५६६, ५६९, ५७०, ११८१, गुणचन्द्रविजय (द्रव्यालङ्कार) २११० १७६३, २०७९, २१००, २१०३, २११३, २१५४, गुणरत्नसूरि १४६५, २१३० उदयवीरगणी ४९४, ५५०, ११५५, १२०४ गुणाकरसूरि उद्योतकर १६३१ गुह्य ४७६ उद्योतनसूरि १९२, ४४७, ६४०, ६६२, १००७, गोपेन्द्र ६८३, ८३१, ९६२, ९६३, १२२३, १२२५, १२२६, १३५९, १५३८, २१६९ ९६४, १३९३ उमास्वातिवाचक ३८, ४३, ८२, ३५१, ४२६, ५१७, गौतम (गालवशिष्य) ८७४ ७३७, ९४४, १००७, १०२६, ११९८, १२०३, | चन्द्रप्रभसूरि १५२, १५७, १६९५, २०१५ १२२३, १२२५, १४८१, १५५५, १७७२, १८१८, चन्द्रमहत्तराचार्य ३५१, ८७६, ११७१ १९२७, १९७५, २११४, २१२३, २१३७ चन्द्रर्षि १५९१ उशना चन्द्रसूरि १३८, १४१ कपिलमहर्षि जम्बूमुनि ६१४ कमलशील १८१९ जयदेवमिश्र ३४१, २०७३ कल्याणमल्ल ८७४ |जयन्तभट्ट ५४५, ८२२, ११८१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org गालव २१६ ३९६ ७९५

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