Book Title: Dwatrinshada Dwatrinshika Prakran Part 8
Author(s): Yashovijay Upadhyay, Yashovijay of Jayaghoshsuri
Publisher: Andheri Jain Sangh
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१/५/३/४५६)
उपयोगः, ज्ञानं, संवेदनं,... (वि.आ.भा.४९). उपयोगप्रधान ...(ध. बिं. ५/२५) उपयोगस्तु द्विविधा चेत...(त.सू.२/२०/ वृत्ति पृ. १६८) उपयोगेन शर्माऽस्ति क्रि...(कृ.गी. ८२ ) उपयोगो भावः..... ( अ. द्वा.सू.१४ वृ.) उपरागात् कर्तृत्वं चि...(सां.सू.१/१६४) उपलब्धे हि तत्तत्त्वे, ... ...(वै.क.ल. ९/१०४८).
• परिशिष्ट- ११
उद्धरेदात्मनाऽऽत्मानं ...(भ.गी. ६/५). उद्धरेयमिमान् सर्वान् या...(पु.सं.) उद्यमेन हि सिध्यन्ति का... (पं.त.२/६/१३९) उद्विग्नः स भवाद् धीमा... ( ब्र.सि. ७५) उद्विग्नता चाऽत्र भवप्र... ( अ. तत्त्वा.३/८३) उद्विग्नस्य कुतः शा... (म.भा. वनपर्व-२३३/१३) उद्विजते न रोगेभ्यो... (यो . शा. ३ / १५३ वृत्ति १६ ) उद्वेगः = कष्टसाध्यता... ( षोड. १४ / ३यो.दी.) उद्वेगकृद्विषादाऽऽ...(अ.प्र. १० / ३) उद्वेगे चित्तदोषे जाते... ( षोड. १४/५ वृ.) उन्नयनाद् = ऊर्ध्वं नयना... (त. वै. ३/३९) उन्नयमविक्ख निन्नस्स पसि...(बृ.क. भा. ३२१) उपकारीति पूज्यः स्याद् ...( ). उपचरितैकान्तपक्षेऽपि ...(बृ.न.च.७० वृत्ति) उपचारात् समर्प्य अर्ध्या...(सू. तां.५/३). उपदेशं विनाऽप्यङ्गी पटी... (यो.सा. प्रा. ८ /७०) उपदेशं विनाऽप्यर्थकामौ... (यो.बि. २२२)
उपदेशस्य च स्वज ...( उप रह. ७८ वृत्ति पृ. १५६) ..... १२१० उपाये सति कर्तव्यं, स...(उप. भ.प्र. १)
उपदेशो हि मूर्खाणां क्रो... ( शु.नी. ४ / १/१९). उपदेशो ऽनवगततत्त्वस्य वि... ( आचा. १/२/३/८२) उपद्रष्टाऽनुमन्ता च भ... (भ.गी. १३/२२) उपध्मानं = उत्तेजनं कृ... ( यो. वा. ३ / ४० ) उपनीतो द्विजो नित्यं गुर... ( सं . स्मृ. ५) उपनीयति जीवितमप्पमायु ज...(सं.नि.१/१/३) उपन्यासश्च = उपादानं पुन:... (अ.प्र.१५ / ७) उपन्यासश्च शास्त्रेऽ...(अ.प्र. १५/७) उपपापानि बोधाग्निर्भस्म...( रा.गी. १०/२४) उपप्लववशात् प्रेम सर्व...(यो . बि. ४७५) उपमायपिधेकच्चे विज्ञू पु... ( म.नि. महावेदल्लसुत्त
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. १९२५ उपलम्भानुपलभसम्भवं त्रि...( प्र.न.त.३ / ७) . ११०६ उपलम्भानुपलम्भनिमित्तं .. (प्र.मी. २/५) ११६१ उपवाससमा भिक्षा प्रो... ( आ. पु. १७/१६). ७०८ उपवासात् परं भैक्षं... (व.स्मृ. १०/६)
• १४५६ | उपवासादिसहिष्णुत्वं ... ( बा. सू. ३/४ ) १२४१ | उपवासोऽपि प्रतीतरूप:,... ( उप.प. ६८३ वृत्ति) १८५९ उप समीपे यो वासो जीवात्म...( वरा.२/३९) १२४० | उपादाननिमित्ताभ्यामधिका... ( )
. ४२७ उपादेयधिया = उपादेयबु... ( यो दृ.स. २५ वृत्ति). १२४१ | उपादेयविशेषस्य न यत्सम्य...( शा. वा. ९/१६) १८०९ उपाधिकर्मजो नास्ति व्यव...(अ.सा. १८/१८). १४७ उपाधिभेदजं भेदं वेत्त्य... (अ.सा. १८/१७) २७७ | उपाधिभेदसन्यासार्थं ... ( मठा. ८)
३२९ उपाधीयते = व्यपदि... ( आचा.१/३/१/सू. ११० वृ.) .. १४८६ | उपाध्यायदशाऽऽचार्य आचा...(म.स्मृ. २/१४५). १९७५ उपायः समतैवैका मुक्तेर...(अ.सा. ९/२७) . ९७५ उपायपूर्वं न दुष्करं ...(चा. सू. ९४ )
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१३९८ | उपावृत्तस्य दोषेभ्यः स... ( ब्र.सि.स.२४१) १३०४ उपासनविहीनस्य सर्वशा... ( रा.गी. ३ / ५४). . ७९५ उपासनां विना ज्ञानात् के...( रा.गी. ३ / ५९) १८०८ उपास्यं तत् सदा ब्रह्म...(बृ.परा. १२/२०९) ४८७ उपेक्षा धैर्यमाधुर्ये ति... ( ना. प. उ.४ / १२) ९५८ उपेत्य तु स्त्रियं......(वा.पु.१८/७) ६०६ | उप्पज्जन्ति वियन्ति य भा... ( सं . त . १ /११) ६०६ उप्पडदि पडदि धावदि पुढवी... ( लिं. प्रा. १५) ...... १७७० | उप्पण्णाऽणुप्पण्णा मा... (नि.भा. ३८६४, १७२४ म.प्र.२१, म.वि.२२३)
२२९१
उप्पन्नकारणम्मि कितिकम्मं... (बृ.क. भा. ४५४० ). १०१२ उप्पन्ने य तित्थयरस्स के... ( धर्मोप . पृष्ठ. ३०) ८१९ उभयकोट्यालम्बनं ज्ञानं ... ( रा.मा. १/३०). . १३८५ उभयण्णू वि य किरियापरो द.. ( उप.प. ८५२). उभयलोगसफलं जीविअं । समु... ( पं. सू. ३) १६५७ |उभयोः परिणामित्वं तथा...( यो. बि. ३१० ). ९६० उभाभ्यामेव पक्षाभ्यां ... ( यो. वा. वैराग्यप्रकरण १ / ७) १८७० उभाभ्यामेव पक्षाभ्यां य... ( हा स्मृ.) २११५ उभो पुञ्ञ च पापं च यं म... ( सं . नि . १/३/४) १६१० उम्मग्गठिओ एक्को विनासए...( गच्छ. प्रकी. ३०).
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