Book Title: Dwatrinshada Dwatrinshika Prakran Part 8
Author(s): Yashovijay Upadhyay, Yashovijay of Jayaghoshsuri
Publisher: Andheri Jain Sangh
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एवमुपासनाकर्मसमुच्चितेन...( सर्वद रामानुज . पृ.१९५) एवमूहप्रधानस्य प्रायो मा... ( यो. बिं. १९९) एव स्वधर्मो विख्यातो यती...(ना. प. उ.४/१३) एष पुनः = विशुद्धपिण्डः...(पं.वृ.१३/३०).. एष वन्ध्यासुतो याति खपु... ( ) ...... एष वाव जिज्ञासितव्योऽ...( मैत्रा. ७/८) एष सर्वेश्वर एष सर्वज्ञः ...(गणे. १/२) एष सर्वेश्वर एष सर्वज्ञः... (मां. ६). एषां गमनिका, कश्चित् = ...(अ.प्र. १९ / ४ वृत्ति) एषा च लोकसिद्धा शिष्टज...(षो. ८/१०) एषा ह वै देवानां राज्ञी...(जै. बा. २/४२६) एषु च षट्सु नयेषु पर्यवश...( द्वा. न. सिंहवृत्ति अ. २६ / पृ.६१३)
एषेr योग्यता ज्ञेया धर्म... ( ब्र.सि. २०८ ). एषोऽणुरा... (मुं.३/१/९)
एष्टव्या बहवः पुत्राः ...( इति. ३८, बृ. स्मृ. २१, कू.पु. उपरि ३४/१३, म.भा.वन. ८७/९ ) एस अग्गी य वाउ य...( उत्तराध्ययन९/१२) एस गहिता वि संसा थ... (सू.प्र.२०/२०९) एसनापसुत्तो मुनी... ( म.नि. महासिंहनाद
• परिशिष्ट - ११ •
११४३ | ऐश्वर्यस्य मुक्तित्वे त... ( कि.रह. पृ. २७) ९६१ ऐश्वर्यस्य समग्रस्य धर्म...(वि.पु. ६ / ५ / ७४) १८८८ | ओघसञ्ज्ञाऽत्र सामान्य .. ( अ.सा. १०/९) . ४०० ओङ्कारापी यः स मुक्तो... (शि.गी. १५ / २४) ओमिति ब्र...(ना. परि. ८/१) ओमिति ब्र... (बौ.ध.सू.१०/१८/२/३६)
. १०९९ ओमिति ब्रह्मणो योनिः ...( म. भा. शान्ति. २७४ /३८) १०९९ | ओमिति यमुक्त्वा मुच्यते ...(नारा. अ. ४) ४९३ ओमित्येकाक्षरं ब्रह्म...( अमू. २१, प्र. २, सू. १, ३४५ गणे. १/१, ब्र.वि. २)
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• २२८,७४८, १५६१ . १४९०
. १२९८ ओमित्येकाक्षरं ब्रह्म ...( ध्या. बि. ९ ) ओमित्येकाक्षरमुद्गीथमुपा...(शौ. १०). ६१६ | ओमो समराईणिओ अप्पतर...(बृ.क. भा. १३७३) . १३२१ ओयं चित्तं समादाय झाणं स... (द.श्रु.५/१) ५९५ ओरालि अदेहस्स य ठिई अ... ( अ.म.प. ११२)
ओरालियत्तणेणं तह परमोरा... ( अ. म. प. ११६) ४९९ | ओरालियसरीराणं उद्दवणं ति...(पिं. नि. ९७) . १८५९ ओसण्णोऽवि विहारे कम्मं ... ( दर्शनशुद्धिप्रकरण-९५, १९९३ नि.भा. ५४३६)
१/२/२/१५७)
| ओसन्नोऽवि विहारे... ( गच्छा.प्र.३४, नि.भा. ५४३६) १८७७ ओसन्नोऽवि विहारे कम्मं... (ग.प्र. ३४) १९२४ ओहेण वीयरायवयणम्मि बहुमा... ( उप.प.२३४) १२८८ | औचित्यं भावतो यत्र त... ( यो. विं. ३४४). १२१५ औचित्याद् गुरुवृत्तिर्ब...(षो. १३/२)
एस वीरे पसंसिए जे बद्धे...(आचा. १/२/५/९३) एसा जिणाण आणा णत्थि च... ( म.स.१३८) एसा पवरा सद्धा अणुबद्धा...(ध. रत्न. १०५) एसा पसत्थभूता समणाणं वा... (प्र. सार.३/५४) ......... १९४० | औचित्याद् वृत्तयुक्तस्य...(यो . बि. ३५८) एसा य परा आणा... (पञ्चा. ११/१३) .....१६१,१२१७ औचित्याऽऽरम्भिणः स...(यो.बि. २४४वृ.) एसवएसो फलवं गुणठाणारम्भ...(उप.रह. ७८) १२१० | औचित्याऽऽरम्भिणोऽक्षु... (यो . बिं. २४४) एसो आहारविही जह भणिओ स...(पिं.नि.६७०) १५३ | औचित्येन प्रवृत्तस्य कु... ( अ.प्र. २२ / ८). एसो किं आराहणमुवलहिहीजा...(उप.प.गा.२११ औत्सुक्यं = अकाले... ( षो. ३/८ योगदीपिका) वृ.२५, पृ.१५७). . २०३ | औत्सुक्यं काङ्क्षारूप ...(ध. बिं. ८/४३ वृत्ति) ३०४ औत्सुक्यं = त्वराऽभिला...(सुग.३/८) १२१४ औदकानूपमांसानि सलिलं पा... (च.स. ८/८८) . ४३६ औदार्यं दाक्षिण्यं पापजु...( पो. ४ / २ ) ८३१ औदासीन्यं... (सं.सू.१/१६३)
एसो गुणद्धिजोगा अणेगस...(पञ्चा. ७/६) एसो मुणेइ आणं विसयं च...(उप.पद. ४७८) एसो हि भिक्खु ! परमो अरि...(म.नि.३ /४०/२) ऐक्यं जीवात्मनोराहुर्योगं...(कु.त. ३० / ९). ऐक्यबुद्धिस्तु बुद्धि:... ( सं .गी.८/१६) ऐदम्पर्यगतं यच्च विध्यादौ... (अध्या. उप. १/६७) ऐदम्पर्यगतं यद्विध्यादौ... ( षो. ११/९) ऐश्वर्यं चेत् ? कार्यत... (किर. पृ. २६)
. १३५२ औपचारिकविनयः अनेकविधः...( त.भा. ९/२३). . १०० औरभ्रेणेह चतुरः, शाकुने...(मनु.३/२६८) १०० | औषधवदशनमाचरे... ( आरु. ३, सं. १) २११३ औषध्यः पशवो वृक्षास्ति... (मनु.५/४०)
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