Book Title: Dwatrinshada Dwatrinshika Prakran Part 8
Author(s): Yashovijay Upadhyay, Yashovijay of Jayaghoshsuri
Publisher: Andheri Jain Sangh
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• परिशिष्ट- ६ •
१७८, १७९, (६०५) पाण्डवगीता
१५७५
१६१-१६४, १६७, १६८, १७६, १८८, १९०, २७३, २८३, २८५, ३०४, ३०६, (६०६) पातञ्जलमहाभाष्य ४०४, ६१०, १७७५, १९०३, ३१३, ३२१, ३३४,३४६, ३६५, ३६६, ३६८, १९०४, १९०५ ३७१, ३९७, ४००, ४०२, ४१४, ४१७, ४२०, ( ६०७ ) पातञ्जलयोगसूत्र जुओ योगसूत्र ( योगानुशासन) ४२१, ४२४, ४३३, ५२३, ७०४, ८३५, ८९१, (६०८) पातञ्जलयोगसूत्रभाष्य जुओ योगसूत्रभाष्य ९२०, ९२३, ९२४, ९३२, ९३५, ९३९, ९४२, (६०९) पातञ्जलयोगसूत्रविवरण जुओ योगसूत्रविवरण ९८२, १००६, १००८, १०१७, ११४६, १२१४, (६१०) पात्रकेशरिस्तोत्र २९७, ५९० १२१६, १२१७, १२९२, १५२१, १५४१, १८३२, (६११) पापताडितक १४५७
१८३४, १८५२, १८५३, १८६६, १९०२, १९२१, (६१२) पारमात्मिकोपनिषद् ४८७, ५९५, ११०५, १११३,
१९२५, १९२९, १९४१, २०३७
२११३
( ५८५) पञ्चाशकवृत्ति ४२, १६७, १७६, १८८, १९०, ( ६१३) पारमात्मिकोपनिषद्वृत्ति
(६१४) पारायणोपनिषद् ८६८ (६१५) पाराशरस्मृति ८६५
(६१६) पार्श्वनाथचरित्र ४९४, ५५०, ११६९, १२०४ (६१७) पाशराशिसूत्र १६४९
(६१८) पाशुपतब्रह्मोपनिषद् ११०८, १११२, ११४०,
३६५, ३६८, ४००, ४१७, ४१९, ४३३, ९२३, ९२४, ९२७, ९३९, ९९३, १०१४, १२१३, १२१४, १२१५, १२१६, १६१८, १८३४, १९२५ ( ५८६ ) पञ्चास्तिकाय ३, ५१९, १७००, १९३२, १९३४ (५८७) पञ्चिलिङ्गिप्रकरणबृहद्वृत्ति ९७३ (५८८) पटिसम्भिदामग्ग १२२३, १७३६, १७३७, २१३० (५८९) पद्मनन्दिपञ्चविंशिका १३९५ (५९०) पद्मपुराण ४६, २५२, ४७७, ४९४, ४९७, ४९८, ६७९, ८३७, ८५५, १२६८, १४१९, १४२१, १४५७, १४८३, १४८४, १५४२, १५७१, १६३०, १६३८, १६६६, १९८५, २१२८
( ५९६ ) परमात्मद्वात्रिंशिका
( ५९७) परमात्मप्रकाशटीका
( ५९८ ) परमानन्दपञ्चविंशतिप्रकरण
( ५९९) पराशरस्मृति
१३०५, १८६६, २१२९, २१५६
| (६१९) पिण्डनिर्युक्ति ५३, ५७, ६९, १५३, १७४, ४१३, ४१६, ४२४, ७००, ९७०, १९२७, १९२८, १९४४, १९४६, २०२५, २०६०
७४
(६२०) पिण्डनिर्युक्तिवृत्ति (६२१) पिण्डविशुद्धि (६२२) पिण्डोपनिषद्
५४
( ५९१) पद्मप्राभृतक ८९४
१११३
(५९२) परब्रह्मोपनिषद् २९५, ६७३, ६९४, १५९६, १८६६ (६२३) पीताम्बरोपनिषद् १२८९ ( ५९३ ) परमज्योतिः पञ्चविंशतिस्तोत्र
३९, ६९५
(५९४) परमहंसपरिव्राजकोपनिषद्
( ५९५ ) परमहंसोपनिषद् ४०४, १२८९, १८६३,
१८६८, १८८७
१५८०
६०
८६३, ८६४, १४७७, १७६९
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(६००) परिशिष्टपर्व ८०, २१५ (६०१ ) परीक्षामुख ५७० (६०२ ) पर्यन्ताराधना (६०३) पाणिनि-अष्टाध्यायीसूत्र (६०४) पाणिनीयशिक्षा १७८५
१६६२
१५७४
५०२,५०३, १८८८
(६२४) पुण्यकुलक (६२५) पुरुषसंहिता (६२६) पुरुषार्थसिद्ध्युपाय
२१५५, ५६८
१६३५
२५२
१२४९
३६७, ४८५, ४८८, ५०४, ८५३ (६२९) पुष्पिका उपागसूत्र १५४९
२२३३
१०९९, ११०६
४५४, ५२७, ५३५, १६२६,
(६२७) पुष्पचूलिकोपाङ्गसूत्र १०००
(६२८) पुष्पमाला ९०, १३९, १४८, ३६४, १००७, १४४८, १४८८, २००४
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(६३०) पूजाप्रकरण ३५१ (६३१) पूजाषोडशक ३५४ (६३२) पेतवत्थु २८८, ५५९, ८५३, ८५५, १७१४ (६३३) पैङ्गलोपनिषद् ४८०, ५८४, ७६३, ७८३, ७९३, ८००, ८१८, ९५३, ९५६, ११०५, ११०८, १३७०, १३७१, १३९४, १३९६, १६०१, १६८७, १७७० www.jainelibrary.org
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