Book Title: Dravya Gun Paryay no Ras Ek Darshanik Adhyayan
Author(s): Priyasnehanjanashreeji
Publisher: Priyasnehanjanashreeji

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Page 469
________________ 449 द्रव्य के सहवर्ती होते हैं।1311 वे पर्याय की तरह क्रम-क्रम से नहीं होते हैं। गुण से पृथक् द्रव्य का और द्रव्य से पृथक् गुण का अस्तित्व नहीं होता है। द्रव्य और गुण का भेदाभेद सम्बन्ध :___जैन परम्परा में द्रव्य और गुण के पारस्परिक सम्बन्ध को लेकर मुख्य रूप से तीन प्रकार की विचारधारा प्राप्त होती है। __द्रव्य गुणों का आश्रयस्थल है। 2- द्रव्य गुणों का संघात है। 3- द्रव्य गुण और पर्यायवाला है। आगम में द्रव्य को गुणों का आश्रयस्थान और द्रव्य के आश्रित रहनेवाले को गुण कहा है। 1312 यहाँ द्रव्य और गुण में आश्रय-आश्रित अथवा आधार-आधेय सम्बन्ध की परिकल्पना की गई है। किन्तु आधार-आधेय सम्बन्ध पृथक्-पृथक अस्तित्व रखनेवाले दो पदार्थ के मध्य में ही हो सकता है। जब द्रव्य और गुण की भिन्न-भिन्न सत्ता ही नहीं है तो उनमें आधार-आधेय सम्बन्ध कैसे हो सकता है ? गुण से रहित होकर न द्रव्य की सत्ता है और न द्रव्य से रहित होकर गुण की कोई सत्ता है।1313 उदाहरण के लिए वस्त्र द्रव्य है और उसमें पाये जाने वाले रूप आदि उसके गुण हैं। यदि वस्त्र में से रूपादि गुणों को अलग कर दिया जाये तो वस्त्र नामक कोई पदार्थ ही शेष नहीं रहेगा। द्रव्य नहीं है तो गुण नहीं है और गुण नहीं है तो द्रव्य नहीं है। इसलिए द्रव्य और गुण का आश्रय और आश्रयीभाव ऐसा नहीं है जैसा कि पुस्तक की चौकी के साथ होती है। यहाँ पुस्तक को चौकी से अलग किया जा सकता है। परन्तु गुण को द्रव्य से अलग नहीं किया जा सकता है। द्रव्य और 1311 सहवर्तिनो गुणा' आवश्यकनियुक्ति, हरि. वृ. पृ. 445 1312 उत्तराध्ययनसूत्र, 28/6 1313 णत्थि गुणो त्ति व कोई पज्जाओ तीह वा विणा दव्वं ........... प्रवचनसार, गा. 2/18 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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