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दिगम्बर जैन साधु
गर्भावस्था :-गर्भ में थे, उस समय माताजी १९५३ मार्च में हुई भगवान श्री बाहुबली की महामस्तकाभिषेक में गयी थी। धर्म की संस्कार गर्भावस्था में ही प्रारम्भ हुई ।
बाल्यावस्था :
१. मुनिराजों के दर्शन करने में उत्कट भक्ति ।
२. मुनि बनने की इच्छा प्रकट करते ।
३. शादी करने की तरफ निरुत्साह ।
४. प्रति दिन मंदिर में जाना ।
५. पिताजी - माताजी से धार्मिक सभायें घटनायें सुनना ।
शिक्षण :- १. बी. कॉम., पदवीधर
बी. कॉम. परीक्षा में कर्नाटक विश्व विद्यालय में प्रथम स्थान |
२. डिप्लोमा धर्म शास्त्र और तत्वशास्त्र में ।
३. एम. ए. के दो वर्ष सम्पूर्ण तत्वशास्त्र में ।
४. N. C. C. में Under Officer |
समाज संघटना कार्य :---
१. सेक्रेटरी तथा संस्थापक हुबली जैन तरुण संघ
२. सेक्रेटरी - दक्षिण भारत जैन युवा परिषद् ।
३. धारवाड़ जिल्हा मुनि स्वागत समिति, सेक्रेटरी ।
४. सेक्रेटरी - संस्थापक
(हुबली जैन समाज मुनि सेवा संघ )
-: स्याग मार्ग :
१. शादी नहीं करने की प्रतिज्ञा । ३०-१-१६७६ शुक्रवार दोपहर में ।'