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दिगम्बर जैन साधु क्षुल्लक श्री पूर्णसागरजी महाराज
श्री १०५ क्षुल्लक पूर्णसागरजी महाराज जिला सागर के अन्तर्गत रामगढ़ ( दमोह) के रहने वाले हैं । जन्मतिथि आश्विन बदी १४ वि० सं० १९५५ है । पिता का नाम परमलालजी और माता का नाम जमुनाबाई है और जाति परिवार है । इनकी प्रारम्भिक शिक्षा प्राइमरी तक हुई है और महाजनी हिसाब किताब का इनको अच्छा अनुभव है।
विवाह के होने के बाद ये कुछ दिन अपने घर ही कार्य करते रहे। उसके बाद दमोह के श्रीमान् सेठ गुलाबचन्दजी के यहां और सिवनी के श्रीमंत सेठ पूरणशाहजी व उनके उत्तराधिकारी श्रीमंत सेठ वृद्धिचन्दजी के यहां कार्य करने लगे। प्रारम्भ से धार्मिक रुचि होने के कारण घर में ही ये भावक धर्म के अनुरूप दया आदि प्राचार का उत्तम रूप से पालन करते थे।
पत्नी वियोग के बाद ये घर में बहुत ही कम समय तक रह सके और अंत में श्री १०८ प्राचार्य सूर्यसागरजी महाराज के शिष्य होकर गृहत्यागी का जीवन बिताने लगे। इस समय आप ग्यारहवीं प्रतिमा के व्रत पाल रहे हैं । दीक्षा तिथि आश्विन बदी १ विक्रम सं० २००२ है । अपने कर्तव्य पालन करने में ये पूर्ण निष्ठावान हैं और मध्ययुगीन पुरानी सामाजिक परम्परा के पूरे समर्थक हैं।