Book Title: Digambar Jain Sadhu Parichaya
Author(s): Dharmchand Jain
Publisher: Dharmshrut Granthmala

View full book text
Previous | Next

Page 605
________________ दिगम्बर जैन साधु [ ५५७ EHIMADRMATMERMERAMAMDARDREAMMARRAARAAMSARAARAARRRRIED a मुनिश्री सुपार्श्वसागरजी महाराज (दक्षिण) द्वारा दीक्षित शिष्य nanananananana PREDIRECTREADERED मुनि श्री सुबलसागरजी क्षुल्लिका शांतिमतीजी GBCHCELEBOEHBWHEHBUQUUHUHUHUHUUUUUUă. मुनिश्री सुबलसागरजी महाराज श्री १०८ मुनि सुबलसागरजी का गृहस्थ अवस्था का नाम परगोड़ाजी पाटील है । आपका जन्म नन्दगांव (वेलगांव) में हुआ था । आपके पिता श्री शिवगोडाजी पाटील हैं, जो खेती । करते हैं । आपकी माता का नाम गान्धारीदेवी है । आप जाति से चतुर्थ बीसपन्थी हैं। आपकी लौकिक शिक्षा लगभग विल्कुल नहीं हुई। धार्मिक शिक्षा आपने स्वाध्याय के बल पर स्वयं ही प्राप्त की । आपके परिवार में चार भाई एक बहिन हैं । आपका विवाह हुआ। आपको एक पुत्र व चार पुत्रियों के पिता होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ । अन्त में सबको छोड़कर मुनिदीक्षा ग्रहण की। ..... . .. + .. ..

Loading...

Page Navigation
1 ... 603 604 605 606 607 608 609 610 611 612 613 614 615 616 617 618 619 620 621 622 623 624 625 626 627 628 629 630 631 632 633 634 635 636 637 638 639 640 641 642 643 644 645 646 647 648 649 650 651 652 653 654 655 656 657 658 659 660 661