Book Title: Digambar Jain Sadhu Parichaya
Author(s): Dharmchand Jain
Publisher: Dharmshrut Granthmala

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Page 658
________________ ६१० ] दिगम्बर जैन साधु संहितासूरि :- आपने अपने जीवन काल में लगभग ७० से अधिक पंचकल्याणक प्रतिष्ठा कराई साथ ही सैकड़ों स्थानों पर वेदी प्रतिष्ठा एवं विधान श्रादि धार्मिक कार्य करा कर धर्म की महती प्रभावना की । प्रतिष्ठाकारक के रूप में आपका नाम अग्रणी है आपको मरसलगंज पंचकल्याणक प्रतिष्ठा के अवसर पर संहितासूरि की उपाधि से अलंकृत किया गया । उपाधियां:- आपको कई प्रसंगों पर अनेकानेक जगह उपाधियों तथा अभिनन्दन पत्र समर्पित किये गये । व्यक्तित्व:- आपका व्यक्तित्व अनूठा है । यद्यपि स्कूली शिक्षा आपको बहुत कम मिली है। किन्तु आपका ज्ञान वारिधि प्रथाह है । धर्म चिन्तन की अथक लगन जैसी आप में है वैसी विरले ही में दिखाई पड़ती है साहित्यसेवा, पत्रकारिता, समाज सेवा आदि क्षेत्रों में आपकी त्यागमयी सेवा भावना आपके चिन्तन मनन के विशिष्ट पहलू रहे हैं । शान्तिवीर नगर श्री महावीरजी के आप अधिष्ठाता हैं तथा संस्था को श्राप भली भांति मार्ग दर्शन देकर उसकी उन्नति में प्रयत्नशील हैं । आप साधु सेवा में रहकर, धर्म ध्यान करते हुए आत्म साधना में लीन हैं ।

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