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२८२ ] . दिगम्बर जैन साधु
आर्यिका सवैभवमतीजी
- आपका जन्म गुजरात प्रान्त में जिला पंचमहल दाहोद नगर में हुवा था । श्रापके पिता का नाम पन्नालालजी गांधी तथा मां का नाम शान्तिबाई था।
आप ५ भाई तथा ४ बहिन हैं। आपके पिता एक. प्रतिष्ठित व्यापारी हैं तथा साधु भक्ति अपूर्व है । पू० मुनि दयासागरजी महाराज का चार्तुमास दाहोद में हुवा तब मुनि श्री के प्रवचनों से आपके अन्दर वैराग्य जगा तथा तभी आपने आजीवन ब्रह्मचर्य व्रत. अंगीकार किया । आपकी शिक्षा १२ वीं तक है व मूल भाषा गुजराती है तथा हिन्दी कन्नड़ी संस्कृत का भी ज्ञान आपको है । आपका जीवन सरल एवं शान्तिमय
है । निरन्तर पठन कार्य में लगी रहती हैं। बम्बई में परम पू० मुनि दयासागरजी महाराज से त्रिमूर्ति पोदनपुर में आर्यिका दीक्षा १ जनवरी १९८२ में धारण की । आप निरन्तर ज्ञान साधना में निरत हैं।
आर्यिका. निःसंगमतीजी
महाराष्ट्र प्रान्त की ऐतिहासिक नगरी नागपुर में १३-२-३६ श्रेष्ठी श्री सुमेरुचन्दजी के घर जन्म लिया था। आपकी माता का नाम दशोदीबाई था। आपने ११ वीं कक्षा पास करने के बाद 'विज्ञान प्रशिक्षण' की ट्रेनिंग ली तथा छिन्दवाड़ा में कन्या विद्यालय में २० वर्ष तक अध्यापिका का कार्य किया। आपके पति का नाम श्री गुरुदयालजी जैन था। आपके ३ बच्चे हैं । आपकी धार्मिक रुचि
अत्यन्त थी । पू० मुनि दयासागरजी महाराज के प्रवचनों से आपके अन्दर वैराग्य जागा तथा पति से आज्ञा लेकर परिवार के समक्ष छिन्दवाड़ा में मुनि दयासागरजी महाराज से आर्यिका दीक्षा ली । ज्ञानोपार्जन में आपकी साधना अथक अनवरत और अध्यवसाय पूर्ण रही। आपने भरे पूरे परिवार के प्रति जितनी भी निर्ममता दिखाई सचमुच श्रद्धय है।