Book Title: Digambar Jain 1924 Varsh 17 Ank 11 Author(s): Mulchand Kisandas Kapadia Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia View full book textPage 5
________________ wwwwwwwwwwwwww श्री अ अंक ११ ] . . दिगम्बर जैन । ६-सभी व्रतोंकी पूना तथा पंच पूना मादि शांतिके सार्थ पढ़नी व करनी चाहिये । ७-जहांतक हो यह सारा दिन मंदिरमें ही बिताना चाहिये। -यह अवकाश व धर्मध्यानका दिन है इस हमारे दशलाक्षणी पर्व अभी चल रहे हैं लिये हरएक मंदिरके शास्त्र भंडारकी सूची इसी और उसका अंतिम पर- अवसर पर बना लेनी चाहिये व सर्व कोईको तुदः स्वाध्यायार्थ शास्त्र सुगमतासे मिल सके ऐसी कर्तव्य। शीका दिन निकट ही व्यवस्थापूर्वक शास्त्र रखने चाहिये। है जिस दिनको हमें किप्त ९-हरएक शास्त्रके वेष्टन रेशमी (मशुद्ध) तरह विताना चाहय उसका नाच लिखा कुछ अथवा पुराने हो तो बदल करके विशुद्ध खद्दरके सूचनाएं हम फिरसे हमारे पाठकों को करना पीले वेष्टन बनाकर उसमें ही हमारे परमपवित्र उचित समझते हैं। शास्त्र बांधने चाहिये। १-अनन्त चतुदशीके दिन दशलाक्षण, १.-जो २ शास्त्र अपने ५ मंदिरमें न हों षोडशकारण, रत्नत्रय और अनंतव्रत ऐसे चार वे अपने अथवा मंदिरके भंडारके द्रव्यसे अवश्य व्रत एक ही दिनमें आते हैं तथा यह हमारे मगाने का निश्चय करके उसका ओर्डर लिख देना पुण्य पर्वका अंतिम दिन है इसलिये इस चाहिये। (हरएक शास्त्र सुरतके दि. जैन दिनको हमें अपूर्व धर्मध्यान पूर्वक विताना पुस्तकालयसे मिल सकता है।) चाहिये जिसमें ११-शास्त्र सभाओंके उपरांत एक व्याख्यान २-हरएकको इस दिन तो धर्मध्यान पूर्वक सभा होनी चाहिये जिसमें दशलाक्षणी पर्व अवश्य उपवास करना चाहिये । पर विद्वानोंके आम व्याख्यान होने चाहिये। ३-काम धंदा बन्द करके सारा दिन मंदिरमें १२-मंदिरका हिसाब किताब लेन देन भी ही पूजा पाठ स्वाध्याय तथा धर्म चर्चामें ही ठीक कर लेना चाहिये तथा " तीर्थरक्षा वितावें। . फंड" का प्रतिघर १) अपने २ मंदिरके -अपने ग्राम व शहरमै जीव हिंसा बन्द भाइयोंसे उगाह करके जितने रु. इकट्ठे हो वे हो व कसाईखाने बन्द रहे तथा काम धन्दा रुपये महामंत्री तीर्थक्षेत्र कमेटी हीराबाग बम्बसार्वजनिक रीतिसे बन्द रहे ऐसा प्रयत्न करना ईको मनिओर्डरसे भेनने चाहिये । चाहिये । अपनको खुद तो व्यापार धंदा बंद १३-चतुर्दशीके दिन मंदिरोंके भीतर व रखना ही चाहिये। बाहर सजावट करनी चाहिये तथा एक धार्मिक ५-सामायिक प्रतिक्रमण भान तो त्रिकाल जुलूस निकालना चाहिये जैसा कि बम्बई में अथवा दो काल अवश्य करना चाहिये । प्रतिवर्ष निकलता है। सारांश कि इस दिनकोPage Navigation
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