Book Title: Digambar Jain 1924 Varsh 17 Ank 11
Author(s): Mulchand Kisandas Kapadia
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia

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Page 10
________________ दिगम्बर जैन । [ वर्ष १. इन्दौर-में मुनि श्री शांतिसागरजीके चातु- २४४९ की रिपोर्ट सुनाई गई व विद्यार्थि ससे त्यागी व्रती पंडितोंका अच्छा समागम योंको पारितोषिक बांटा गया तथा दो न्यायतीर्थ हो गया है। इस पर्वमें पं. लक्ष्मीचन्दनी पास विद्यार्थियोंको रजतपदक दिये गये व लश्कर व न्यायाचार्य पं. माणिकचंदनी भी सभापतिजीने लड्डुओंकी प्रभावना बांटी व धर्म प्रभावनार्थ पधारे हैं। आगामी अधिवेशनके लिये सेठ चंपालालजीने नागपुर प्रान्तिय-खंडेलवाल सभाका ९ आमंत्रण दिया। फिर ७ प्रस्ताव इस प्रकार वां अधिवेशन कार्तिक वदी ३-४-५को राम हुए। १-महाविद्यालयके ध्रौव्य फंडका हिसाब टेकमें होगा। स्वागतसमिति भी बन चुकी है। भेनने बाबत २-महाविद्यालयकी आमदनीकी केशरियाजी-की पाठशालाकी परीक्षा महामंत्री महासभासे मांग ३-बजटके शेष रुपये ता० ४ अगस्तको पंच द्वारा लीगई तब ७७ भेजे जावें । १-बोर्डिगका स्थान संकुचित होनेसे मेंसे ६१ विद्यार्थी उपस्थित थे जिनमें से ३० बढानेके लिये सेठ चंपालालजी व कुंवर मोती ही पास हुए । विद्यार्थी विशेष हैं व अध्यापक लालजीसे प्रेरणा । ५-सेठ मोहनलालजी खुरबहुत कम है उसमें तो वह बिचारा १५ बालि- ईसे ५०००) विद्यालय के बाकी हैं वे मंगाये काओंको भी पढाता है। इसलिये एक विशेष जाय व बकाया पांच२ हजारकी स्वीकारता भी अध्यापक व अध्यापिकाकी आवश्यकता है ली जाय । १-विद्यालयके अधिष्ठाता ब. परन्तु द्रव्याभावसे वैसा नहीं हो सकता इसपर छोटेलालजी नियत - हों। ७-पास की गई तीर्थक्षेत्र कमेटी व समाजको ध्यान देना चाहिये। नियमावली छपाई जावे । भट्टारकका वियोग जैन कांचीमठ कुंथलगिरि-से कुलभूषण ब्रह्मचर्याश्रमके (दक्षिण के भट्टारक श्री लक्ष्मी से नजीका गत विद्यार्थी करीब सभी व अधिष्ठाता ब. पार्श्वता० ३ जुलाई को अकस्मात् स्वर्गवास हो गया। सागरनीको अकस्मात जोरजुल्मसे वहां के प्रबंधक प्राचीन स्मारकके आप बडे प्रेमी थे । अपने सेठ रावजी सखाराम (भूम) व सेठ कस्तूरचंद्रजी निवास स्थान चित्तपुर (गिन्गी द० आर्कट में परंढाने निकाल दिये हैं व भाश्रम छिन्नभिन्न आप तीन वर्ष हुए एक बडा मंदिर बनवा रहे हो गया है जिससे दि. जैन समानमें थे जो अधूरा है व उसमें तीन लाख रु. तो लग बडा भारी हाहाकार मच गया है। इनका चुके हैं। आप कोई शिष्य नहीं छोड गये। मावश्यक उपाय सोलापुर प्रान्त व तीर्थक्षेत्र जैन तामील जनताको इनके मठकी व्यवस्था कमेटी द्वारा होना ही चाहिये । ब्र पार्श्वसागकरनी चाहिये। रजी अभी बार्सी में हैं व कई विद्यार्थी सोनापुर महाविद्यालय व्यावर-की प्र. कमे- बोर्डिगमें भेज दिये गये हैं। आश्रमकी यह टीकी बैठक भादों वदो ७ को रा. बा. बा० दशा अतीव दयाननक है। पाश्रमका सब माल नांदमलजीके सभापतित्वमें हुई थी जिसमें प्रथम असबाब भी छीन लिया गया है।

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